नयी दिल्ली, 22 जून (एजेंसी)
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार के कोविड प्रबंधन को लेकर मंगलवार को पार्टी की ओर से एक ‘श्वेत पत्र’ जारी किया और केंद्र से आग्रह किया कि इस महामारी की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए अभी से पूरी तैयारी की जाए तथा युद्धस्तर पर टीकाकरण किया जाए। उन्होंने केंद्र सरकार पर कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आंसू उन परिवारों के आंसू नहीं पोंछ सकते जिन्होंने दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण अपनों को खोया है। राहुल गांधी ने कुछ हफ्ते पहले चिकित्सकों के साथ डिजिटल संवाद के दौरान प्रधानमंत्री के भावुक होने से संबंधित सवाल के जवाब में यह टिप्पणी की। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि सरकार की ओर से गरीबों को आर्थिक मदद दी जानी चाहिए और कोविड प्रभावित परिवारों को मदद देने के लिए कोविड मुआवजा कोष स्थापित करना चाहिए। कांग्रेस ने जो ‘श्वेत पत्र’ जारी किया है उसमें पहली और दूसरी लहर के दौरान केंद्र सरकार की कथित ‘गलतियों और कुप्रबंधन’ का उल्लेख किया गया है। राहुल गांधी ने सरकार को आगाह करते हुए यह भी कहा, ‘तीसरी लहर आने वाली है। इसीलिए हम सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि वह अभी से पूरी तैयारी करे।’
मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि भारत के लिए टीकों और उनके उत्पादन के लिए जरूरी सामग्री की आपूर्ति के वास्ते टीका निर्माता इकाइयों और दूसरे देशों की सरकारों के साथ समन्वय स्थापित किया जाए तथा घरेलू स्तर पर टीकों का उत्पादन तेज करने के लिए 1970 के पेटेंट कानून के तहत लाइसेंस प्रावधानों को अनिवार्य किया जाए। कांग्रेस ने कहा कि निर्णय की प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण किया जाए और तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए पूरे देश और खासकर ग्रामीण इलाकों में जोर-शोर से तैयारी की जाए।
समीक्षा के लिए बने सर्वदलीय समिति
श्वेतपत्र में कोरोना महामारी के नियंत्रण से जुड़े कदमों की समीक्षा के लिए सर्वदलीय समिति बनाने, गरीबों की आर्थिक मदद करने, कोविड प्रभावित परिवारों को चार-चार लाख रुपये की मदद देने और राज्यों को न्यायसंगत एवं उचित मात्रा में टीके उपलब्ध कंराने तथा कम से कम समय में सभी नागरिकों का मुफ्त टीकाकरण की सिफारिश की गयी है। इसी के साथ कांग्रेस ने सरकार से आग्रह किया कि गरीबों, छोटे एवं मध्यम कारोबारों की मदद के लिए न्यूनतम आय सहायता योजना लागू करने समेत राहत के दूसरे कदम उठाए जाएं, मनरेगा के लिए बजट का आवंटन बढ़ाया जाए तथा शहरी क्षेत्रों के गरीबों की भी मदद की जाए।