नयी दिल्ली, 23 फरवरी (एजेंसी)
बिजली क्षेत्र में कार्यरत इंजीनियरों का संगठन ‘ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन’ (एआईपीईएफ) ने मंगलवार को कहा कि बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 को अंतिम रूप देने में ग्राहकों के साथ-साथ कर्मचारियों की अनदेखी की जा रही है। संगठन ने उस पर संबंधित पक्षों की राय के लिये विधेयक के मसौदे को सार्वजनिक किये जाने की मांग की है। एआईपीईएफ के प्रवक्ता वी के गुप्ता ने कहा, ‘‘बिजली (संशोधन) विधेयक, 2021 के मसौदे को अंतिम रूप देते समय उपभोक्ता और बिजली क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी और इंजीनियरों की उपेक्षा की गयी।” एआईपीईएफ ने मांग की है कि विधेयक को बिजली मंत्रालय की वेबसाइट पर रखा जाए और इसे अंतिम रूप देने से पहले ग्राहकों, क्षेत्र के कर्मचारियों के साथ इंजीनियरों के सुझावों पर विचार किया जाए।” एआईपीईएफ के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने बिजली मंत्री आर के सिंह को पत्र लिखकर कहा है कि मंत्रालय ने सुझावों को लेकर बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 को कुछ चुनिंदा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बिजली सचिवों को भेजा था। उनसे दो सप्ताह के भीतर इस पर अपने सुझाव देने को कहा गया था। बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 में प्रस्तावित वितरण पंजीकरण के साथ वितरण लाइसेंस की प्रक्रिया में बदलाव का प्रस्ताव किया गया है। गुप्ता ने कहा कि ऐसा लगता है बिजली मंत्रालय केवल नौकरशाह की भूमिका निभा रहा है और बड़े औद्योगिक घराने ही पक्षकार हैं।