सीबीआई और पंजाब विजिलेंस आमने-सामने
पंजाब के गिरफ्तार और निलंबित डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर की हिरासत को लेकर सीबीआई और पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के बीच खींचतान शुरू हो गई है। शनिवार को चंडीगढ़ की एक अदालत ने भुल्लर को पांच दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया, जबकि मोहाली की अदालत ने विजिलेंस ब्यूरो की भुल्लर को प्रोडक्शन वारंट पर सौंपने की याचिका पर सुनवाई सोमवार तक टाल दी। इससे यह मामला दोनों एजेंसियाें के कानूनी और अधिकार क्षेत्र की रस्साकशी में उलझ गईं हैं। मोहाली कोर्ट के आदेश पर शुक्रवार को विजिलेंस ब्यूरो ने बुड़ैल जेल में बंद भुल्लर से पूछताछ की थी। इसके बाद, विजिलेंस ब्यूरो ने 29 अक्तूबर को दर्ज अपनी एफआईआर में पूछताछ के लिए भुल्लर को औपचारिक रूप से पेश करने की मांग करते हुए एक नयी याचिका दायर की। लेकिन यह याचिका विवादों में घिर गई। सूत्रों के अनुसार, याचिका में विरोधाभासी दलीलें थीं। एक ओर दावा किया गया कि भुल्लर को जेल में पूछताछ के दौरान ही गिरफ्तार कर लिया गया था, वहीं दूसरी ओर अदालत से उसके प्रोडक्शन वारंट की मांग की गई। मोहाली के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मामले की सुनवाई सोमवार तक टाल दी और कहा कि हिरासत से संबंधित कोई भी आदेश जारी करने से पहले सीबीआई को नोटिस जारी किया जाना चाहिए।
उधर, सीबीआई ने चंडीगढ़ स्थित विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष भुल्लर को पेश किया। अदालत ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 की धारा 187 के तहत भुल्लर काे 6 नवंबर तक पांच दिन के सीबीआई रिमांड पर भेज दिया।
अदालत ने सीबीआई की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि भुल्लर के दो जब्त मोबाइल फोनों के फोरेंसिक डाटा में सह-आरोपी कृष्नु शारदा के साथ आपत्तिजनक चैट शामिल है, जिसमें न्यायिक आदेशों को प्रभावित करने के प्रयास और अवैध मासिक भुगतान के पैटर्न शामिल हैं। अदालत ने फैसला सुनाया कि रिश्वत के पैसे का पता लगाने, भुल्लर और कृष्नु से आमने-सामने पूछताछ करने और अन्य सबूतों को बरामद करने के लिए भुल्लर से हिरासत में पूछताछ आवश्यक है।
पंजाब विजिलेंस ब्यूरो की अधिकार क्षेत्र संबंधी आपत्तियों को खारिज करते हुए चंडीगढ़ की अदालत ने मामले की जांच करने के सीबीआई के अधिकार को बरकरार रखा। अदालत ने माना कि जांच एजेंसी का ट्रैप, पैसे की बरामदगी और महत्वपूर्ण बातचीत सभी चंडीगढ़ में हुए थे, इसलिए कार्रवाई के लिए डीएसपीई अधिनियम के तहत पंजाब सरकार की सहमति की आवश्यकता नहीं थी। आदेश में कहा गया कि सीबीआई की जांच कानूनी रूप से केंद्र शासित प्रदेश के भीतर हुई।
इसके विपरीत, विजिलेंस की मोहाली कोर्ट में दायर याचिका में सीबीआई पर राज्य के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया गया है और तर्क दिया गया कि कथित रिश्वत की मांग पंजाब से शुरू हुई थी और यह सीबीआई चंडीगढ़ अधिकार क्षेत्र में नहीं है। मोहाली अदालत ने, हालांकि अभी तक कोई फैसला नहीं सुनाया है। उसने टिप्पणी की है कि सीबीआई और पंजाब विजिलेंस ब्यूरो दोनों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत समान अधिकार प्राप्त है और न्यायिक औचित्य की मांग है कि आगे कोई भी आदेश देने से पहले सीबीआई को पूर्व सूचना
दी जाए।
