नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (एजेंसी) तमिलनाडु के कुन्नूर में हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हुए 5 और सैन्य कर्मियों के शवों की पहचान कर ली गई है और उन्हें उनके गृह नगरों में भेजा जा रहा है। सैन्य अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि शेष शवों की पहचान करने के प्रयास किए जा रहे हैं। जिन सैन्य कर्मियों के शवों की पिछले कुछ घंटों में पहचान की गई है, वे हैं- जूनियर वारंट ऑफिसर (जेडब्ल्यूओ) प्रदीप, विंग कमांडर पी एस चौहान, जेडब्ल्यूओ राणा प्रताप दास, लांस नायक बी साई तेजा और लांस नायक विवेक कुमार। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पांचों सैन्य कर्मियों के पार्थिव शरीरों को आज सुबह उनके पारिवारिक सदस्यों के पास भेजा जा रहा है।’ अधिकारियों ने बताया कि पांचों सैन्य कर्मियों के शवों का उचित सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने के लिए उन्हें हवाई मार्ग से उनके गृह नगरों में भेजा जा रहा है। उन्होंने बताया कि योजना के अनुसार, जेडब्ल्यूओ प्रदीप की पार्थिव देह को पूर्वाह्न करीब 11 बजे सुलूर और विंग कमांडर चौहान के पार्थिव शरीर को सुबह आगरा पहुंचाया जाएगा। जेडब्ल्यूओ दास की पार्थिव देह को जिस विमान से भुवनेश्वर ले जाया जाएगा, उसके पूर्वाह्न एक बजे वहां पहुंचने की संभावना है। उन्होंने बताया कि लांस नायक तेजा की पार्थिव देह को पूर्वाह्न करीब साढ़े 12 बजे बेंगलुरू पहुंचाए जाने की संभावना है और लांस नायक विवेक कुमार के पार्थिव शरीर को पूर्वाह्न साढ़े 11 बजे हिमाचल प्रदेश के गग्गल पहुंचाया जाएगा। भारत के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और जनरल रावत के रक्षा सलाहकार ब्रिगेडियर एल एस लिद्दर का शुक्रवार शाम दिल्ली के बरार स्क्वेयर श्मशान घाट में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। तमिलनाडु में बुधवार को सेना के एमआई17वी5 हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण जनरल रावत, उनकी पत्नी, ब्रिगेडियर लिद्दर और 10 अन्य रक्षा कर्मियों की मौत हो गई थी। सभी शवों को दुर्घटना के एक दिन बाद बृहस्पतिवार शाम को तमिलनाडु के सुलूर से दिल्ली लाया गया था। जिन शवों की पहचान नहीं हुई है, उन्हें दिल्ली छावनी के आर्मी बेस अस्पताल के शवगृह में रखा गया है। अधिकारियों ने बताया कि पार्थिव शरीरों को उनके गृह नगर भेजे जाने से पहले बेस अस्पताल में उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी। हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जान गंवाने वाले सशस्त्र बलों के 10 कर्मियों के परिवार के सदस्यों की संवेदनाओं और भावनाओं को ध्यान में रखते हुए शवों की पहचान की प्रक्रिया चल रही है। अभी तक लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, स्क्वाड्रन लीडर के सिंह, हवलदार सतपाल, नायक गुरसेवक सिंह और नायक जितेंद्र कुमार के शवों की पहचान नहीं हो पाई है।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।