ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
नयी दिल्ली, 30 अक्तूबर
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में सपा-बसपा के बीच तलवारें खिंच जाने से भाजपा अपनी रणनीति में कामयाब होती दिख रही है। ‘बुआ’ मायावती और ‘भतीजे’ अखिलेश यादव के बीच जारी जुबानी जंग से प्रदेश विधानसभा के 2022 की चुनावी जंग की तस्वीर भी साफ होती जा रही है। इन दोनों दलों के बीच टकराहट बढ़ने से विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष होना तय हैं, और भाजपा यही चाहती है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव 2022 के जनवरी-फरवरी माह में होने हैं। प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा का भी मानना है कि उस चुनावी जंग में सभी राह आसान हो सकती है, जब प्रदेश में बहुकोणीय चुनावी संघर्ष हो। प्रदेश में भाजपा के अलावा सपा और बसपा ही मुख्य सियासी ताकतें हैं। हालांकि कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा भी पार्टी को मजबूत करने की कोशिश में लगी हैं, लेकिन माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अंतत: सपा के खेमे में जाने की ज्यादा संभावना है। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा के गठबंधन बना लेने से भाजपा की मुश्किलें बढ़ गई थी। हालांकि, चुनाव से ठीक पहले बालाकोट एयर स्ट्राइक के कारण पासा पलट गया। तब लोकसभा का चुनाव था और भाजपा नरेंद्र मोदी के नाम पर मैदान में थीं। जबकि 2022 में भाजपा को उत्तर प्रदेश के चेहरों पर वोट मांगने हैं। ऐसे में भाजपा को तभी फायदा होगा, जब प्रदेश में बहुकाेणीय संघर्ष होगा। उधर, 2022 में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में सपा-बसपा के बीच तकरार बढ़ने से उनके 2022 में एकसाथ आने की संभावना समाप्त हो गई है।