Bihar Assembly Elections : बिहार में राजग प्रचंड बहुमत की ओर, भाजपा सबसे बड़ा दल
Bihar Assembly Elections : बिहार विधानसभा चुनाव में शुक्रवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) 243 में से करीब 200 सीटों पर जीत हासिल कर प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने की ओर अग्रसर है जबकि लगभग 90 प्रतिशत स्ट्राइक रेट के साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती दिख रही है।
निर्वाचन आयोग के शाम सात बजे तक के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश की 243 विधानसभा सीटों में राजग 202 पर बढ़त बनाए हुए थी या जीत चुकी थी। दूसरी तरफ, विपक्षी महागठबंधन 35 सीटों पर बढ़त बनाए हुए थी या जीत चुकी थी। राजग के कई प्रमुख नेता और प्रदेश सरकार के मंत्री चुनाव जीत गए हैं। कृषि मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता प्रेम कुमार ने गया शहर सीट पर अपने लगातार जीत के क्रम को बरकरार रखा। 1990 से इस सीट पर काबिज कुमार ने कांग्रेस उम्मीदवार अखौरी ओंकार नाथ को 26,000 से अधिक मतों से हराया।
जनता दल (यूनाइटेड) के नेता एवं सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के मंत्री महेश्वर हजारी ने कल्याणपुर (सु) सीट पर चौथी बार जीत दर्ज की। उन्होंने भाकपा (माले) लिबरेशन के उम्मीदवार रंजीत कुमार राम को 38,000 से ज्यादा मतों के अंतर से हराया। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने दरभंगा सीट पर लगातार पांचवीं जीत दर्ज की। मरवाड़ी समाज से आने वाले सरावगी ने विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी)उम्मीदवार उमेश साहनी (वीआईपी) को 24,500 से अधिक मतों से मात दी।
अन्य प्रमुख विजेताओं में पर्यटन मंत्री राजू कुमार सिंह शामिल हैं, जिन्होंने 2020 में वीआईपी टिकट पर चुनाव जीता था लेकिन बाद में भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने इस बार राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रत्याशी पृथ्वी नाथ राय को 13,000 से अधिक मतों से हराकर सीट बरकरार रखी। मधुबन से पूर्व मंत्री और भाजपा के राणा रणधीर सिंह और मोकामा से जदयू के बाहुबली नेता अनंत सिंह भी विजयी रहे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान जन सुराज पार्टी समर्थक दुलार चंद्र यादव की हत्या मामले में जेल में बंद आनंद सिंह ने राजद प्रत्याशी वीणा देवी को हराया।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी ने भी गोविंदगंज सीट पर प्रभावशाली जीत दर्ज की। तिवारी ने 2015 में यह सीट जीती थी लेकिन 2020 में हार गए थे। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार शशि भूषण राय को 32,000 से अधिक मतों से हराकर सीट दोबारा हासिल की। इस चुनाव में जनता दल (यूनाईटेड) को भी काफी फायदा मिलता दिख रहा है। साल 2020 के चुनाव में केवल 43 सीटें जीतने वाली नीतीश की पार्टी इस बार लगभग 19 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 84 से अधिक सीटों पर आगे है।
खुद को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘हनुमान' बताने वाले केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 19 सीटों पर आगे है। पिछले विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी का तमगा हासिल करने के बावजूद प्रमुख विपक्षी पार्टी रही राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का प्रदर्शन बहुत ही निराशाजनक दिख रहा है और वह केवल 26 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। राजद ने इस चुनाव में 140 से भी अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा था। बिहार में सरकार बनाने के लिए कम से कम 122 सीटें जीतना जरूरी है।
निर्वाचन आयोग द्वारा कराए गए मतदाता सूची के पुनरीक्षण में कथित अनियमितताओं के बीच दो चरणों में हुए बिहार चुनावों में राजग की यह जीत और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अगले छह महीनों के भीतर ही पश्चिम बंगाल और असम में चुनाव होने वाले हैं। अभी तक भाजपा 16 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी है जबकि जद (यू) 14 पर और राजद सिर्फ चार पर। भाजपा ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे करीब 21 प्रतिशत वोट मिले हैं। कांग्रेस, जिसे अक्सर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया' में एक ‘कमजोर कड़ी' के रूप में देखा जाता है, 61 में से केवल चार में आगे है।
गौरतलब है कि बिहार देश के उन चुनिंदा राज्यों में से एक है जहां भाजपा अभी तक अपने दम पर सरकार नहीं बना पाई है। हालांकि, प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस बात पर जोर देते रहे हैं कि बिहार में राजग का नेतृत्व नीतीश कुमार कर रहे हैं। जानकार मानते हैं कि भाजपा ने यह रणनीति इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए अपनाई होगी क्योंकि उसके पास लोकसभा में बहुमत नहीं है और वह जद (यू) जैसे सहयोगियों पर निर्भर है। केंद्र की सरकार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की तेदेपा का भी समर्थन हासिल है।
