बेंगलुरु, 1 दिसंबर (एजेंसी)
विधान परिषद के भाजपा सदस्य ए. एच. विश्वनाथ को बड़ा झटका देते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा है कि दल-बदल कानून के तहत सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराए गए एमएलसी को मंत्री नहीं बनाया जा सकता। चीफ जस्टिस अभय श्रीनिवास ओक और जस्टिस एस. विश्वजीत शेट्टी की खंड पीठ ने एक वकील याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया। वकील ने अपनी अर्जी में कहा था कि विश्वनाथ को संविधान के अनुच्छेद 164(1)(बी) और अनुच्छेद 361(बी) के तहत मई-2021 में विधान परिषद का कार्यकाल समाप्त होने तक अयोग्य घोषित किया गया है। वहीं अन्य दो विधान पार्षदों आर. शंकर और एम. टी. बी. नागराज को अदालत से राहत मिल गई है। अदालत ने कहा कि दोनों के विधान परिषद में निर्वाचित होने के कारण उनकी अयोग्यता अब लागू नहीं होगी। पीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री को विश्वनाथ को अयोग्य ठहराए जाने के तथ्य को ध्यान में रखना होगा। अदालत ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा सिफारिश किए जाने की स्थिति में राज्यपाल को विश्वनाथ को अयोग्य घोषित किए जाने के तथ्य पर विचार करना होगा। आवेदक वकील ने आरोप लगाया है कि विश्वनाथ, शंकर और नागराज को पिछले दरवाजे से विधान परिषद में प्रवेश दिया गया है ताकि उन्हें मंत्रिपरिषद में शामिल किया जा सके जबकि विश्वनाथ और नागराज अयोग्य घोषित किए जाने के बाद से अपनी-अपनी सीटों से उपचुनाव में हार गए थे। आवेदक ने दावा किया है कि शंकर ने तो उपचुनाव में हिस्सा भी नहीं लिया।
यह है मामला
गौरतलब है कि एमएलसी विश्वनाथ, शंकर और नागराज उन 17 विधायकों में शामिल हैं जिन्हें कर्नाटक विधानसभा से अयोग्य घोषित किया गया था और इसी कारण एच. डी. कुमारस्वामी नीत तत्कालीन जद(एस)-कांग्रेस गठबंधन सरकार गिर गई थी। शंकर और नागराज कांग्रेस के जबकि विश्वनाथ जद(एस) की टिकट पर चुनाव जीते थे। अयोग ठहराए जाने के बाद तीनों भाजपा में शामिल हो गए।