Anil Ambani Case : अनिल अंबानी की डिजिटल पेशी, ईडी की जांच में पूरा सहयोग का आश्वासन
Anil Ambani Case : रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी ने फेमा के तहत जारी समन के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष शुक्रवार को ‘‘डिजिटल माध्यम'' से हाजिर होने की पेशकश की। कारोबारी अनिल अंबानी के एक प्रवक्ता द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि उन्होंने संघीय जांच एजेंसी को पत्र लिखकर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत की जा रही जांच में ‘‘पूर्ण सहयोग'' का आश्वासन दिया है।
सूत्रों के अनुसार, एजेंसी ने अंबानी को शुक्रवार को व्यक्तिगत रूप से पेश होने और फेमा के तहत अपना बयान दर्ज कराने को कहा था। यह जांच जयपुर-रींगस राजमार्ग परियोजना से संबंधित है, जहां ईडी को संदेह है कि हवाला के माध्यम से लगभग 100 करोड़ रुपये की धनराशि विदेश भेजी गई थी। सूत्रों ने बताया कि ईडी ने कुछ कथित हवाला डीलरों सहित कई लोगों के बयान दर्ज किए हैं, जिसके बाद उन्होंने अंबानी को तलब करने का फैसला किया है।
हवाला, धन की अवैध आवाजाही को दर्शाता है, जिसमें अधिकतर नकदी शामिल होती है। ईडी ने व्यवसायी से एक बार अपने समूह की कंपनियों के खिलाफ कथित तौर पर 17,000 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले में पूछताछ की थी। बयान में कहा गया है कि यह मामला (फेमा मामला) 15 साल पुराना है, 2010 का है और एक सड़क ठेकेदार से जुड़ा है।
इसमें कहा गया है कि ‘रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड' ने 2010 में जेआर टोल रोड (जयपुर-रींगस राजमार्ग) के निर्माण के लिए ईपीसी अनुबंध प्रदान किया था। बयान के अनुसार कि यह पूरी तरह से घरेलू अनुबंध था जिसमें किसी भी तरह का विदेशी मुद्रा घटक शामिल नहीं था। जेआर टोल रोड पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुका है और 2021 से यह पिछले चार वर्षों से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के पास है।
अंबानी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड के सदस्य नहीं हैं। इसमें कहा गया है कि उन्होंने अप्रैल 2007 से मार्च 2022 तक लगभग 15 वर्षों तक कंपनी में केवल एक गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में काम किया और कंपनी के दैनिक प्रबंधन में कभी शामिल नहीं रहे।
