नयी दिल्ली, 26 मई (एजेंसी) दिल्ली के नव नियुक्त उपराज्यपाल विनय कमार सक्सेना के शपथ ग्रहण समारोह में बैठने की व्यवस्था से नाराज भाजपा के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन समारोह बीच में छोड़ कर राजनिवास से बाहर चले गये। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में पूर्व केंद्रीय मंत्री को समारोह स्थल से बाहर जाते हुये देखा गया। उन्होंने कहा कि मैं विनय कुमार सक्सेना जी को लिखूंगा कि यह बैठने की व्यवस्था है?’ वीडियो में वह कहते सुने जा सकते हैं, ‘उन्होंने सांसदों के लिये भी अलग से सीटों का इंतजाम नहीं किया।’ दिल्ली के 22 वें उपराज्यपाल पद की शपथ लेने के बाद इस बारे में पूछे जाने पर सक्सेना ने मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान कोई टिप्पणी नहीं की। पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मामले में टिप्पणी के लिये उपलब्ध नहीं हो सके। वह चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से संसद सदस्य हैं। उपराज्यपाल के शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा के सातों लोकसभा सदस्यों समेत दिल्ली के सभी सांसदों को आमंत्रित किया गया था। उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी एवं पश्चिम दिल्ली के सांसद परवेश वर्मा को सोफे पर पिछली पंक्ति में बैठे देखा गया। इस मामले में उपराज्यपाल कार्यालय से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। इस समारोह में केंद्रीय मंत्रि गिरिराज सिंह और मीनाक्षी लेखी भी मौजूद थीं।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।