हाईकोर्ट के सभी जज पूर्ण पेंशन के हकदार : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अतिरिक्त न्यायाधीशों सहित हाईकोर्ट के सभी जज पूर्ण पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ के हकदार होंगे। शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को पेंशन के रूप में प्रति वर्ष 15 लाख रुपये मिलेंगे। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि पेंशन देने से इनकार करना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन होगा। पीठ ने कहा कि सभी को पूर्ण पेंशन दी जाएगी, चाहे उनकी नियुक्ति कभी ही हुई हो और चाहे वे अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए हों या बाद में स्थायी किए गए हों। पीठ ने कहा कि नियुक्ति के समय के आधार पर या पद के आधार पर न्यायाधीशों के बीच भेदभाव करना इस मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।सीजेआई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हाईकोर्ट के ऐसे अतिरिक्त न्यायाधीश जो अब जीवित नहीं हैं, के परिवार भी स्थायी न्यायाधीशों के परिवारों के समान पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ के हकदार हैं। पीठ ने कहा, ‘संघ (भारत) अतिरिक्त न्यायाधीशों सहित हाईकोर्ट के जजों को प्रति वर्ष 13.50 लाख रुपये की पूर्ण पेंशन का भुगतान करेगा।' शीर्ष अदालत ने जिला न्यायपालिका और हाईकोर्ट में सेवा अवधि को ध्यान में रखते हुए पेंशन के पुनर्निर्धारण के संबंध में याचिकाओं पर 28 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट के जजों को पेंशन के भुगतान में कई आधारों पर असमानता का आरोप लगाया गया था, जिसमें यह भी शामिल था कि सेवानिवृत्ति के समय न्यायाधीश स्थायी न्यायाधीश थे या अतिरिक्त। याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि हाईकोर्ट के न्यायाधीश, जो जिला न्यायपालिका से पदोन्नत हुए थे और एनपीएस के अंतर्गत आते थे, उन्हें बार से सीधे पदोन्नत हुए जजों की तुलना में कम पेंशन मिल रही है।