लखनऊ, 30 सितंबर (एजेंसी)
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह समेत 32 आरोपियों को बड़ी राहत देते हुए सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि सीबीआई इस मामले में निष्कर्ष पर पहुंचने योग्य साक्ष्य पेश नहीं कर सकी। जांच एजेंसी बाबरी मस्जिद ढहाने वाले कारसेवकों की अारोपियों से कोई सांठगांठ साबित नहीं कर सकी। अदालत ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। यह एक आकस्मिक घटना थी।
विशेष जज एसके यादव ने अपनी सेवानिवृत्ति के दिन 2300 पन्नों के फैसले में कहा कि सीबीआई की तरफ से सबूत के तौर पर पेश अखबारों की कतरन अदालत में स्वीकार्य नहीं हैं, क्योंकि उनकी मौलिक प्रति पेश नहीं की गयी। इसके अलावा घटना की तस्वीरों के निगेटिव भी अदालत को नहीं दिए गये। विशेष जज ने यह भी कहा कि घटना के संबंध में सीबीआई ने जो वीडियो कैसेट पेश किए, वे सीलबंद लिफाफे में नहीं थे। उनके वीडियो भी स्पष्ट नहीं थे, लिहाजा उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। सीबीआई ने इस मामले में 351 गवाह और करीब 600 दस्तावेजी सबूत अदालत में पेश किए थे। अदालत में फैसला सुनाए जाते वक्त कुछ अभियुक्तों ने न्यायाधीश की मौजूदगी में ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाए। विशेष जज ने अपने निर्णय में यह भी माना कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाये जाने से कुछ दिन पहले स्थानीय अभिसूचना इकाई ने अपनी रिपोर्ट में किसी अनहोनी की आशंका जताई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी।
अदालत ने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को दोपहर 12 बजे के बाद विवादित ढांचे के पीछे से पथराव शुरू हुआ। विश्व हिन्दू परिषद नेता अशोक सिंघल विवादित ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे, क्योंकि ढांचे में रामलला की मूर्तियां रखी थीं। उन्होंने कारसेवकों के दोनों हाथ व्यस्त रखने के लिए जल और फूल लाने को कहा था।
बहरहाल, दोषमुक्त होने के बाद उपस्थित सभी 26 अभियुक्तों की ओर से अपराध प्रक्रिया संहिता के नये प्रावधानों के अनुसार 50 हजार की एक जमानत एवं निजी मुचलका दाखिल किया गया। अदालत ने सभी आरोपियों को फैसले के दिन मौजूद रहने को कहा था, हालांकि आडवाणी, जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और सतीश प्रधान अलग-अलग कारणों से हाजिर नहीं हुए।
इन नेताओं को मिली राहत
मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डाॅ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दूबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, साक्षी महाराज, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धमेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर आरोपी थे। मामले के कुल 49 अभियुक्त थे जिनमें से 17 की मृत्यु हो चुकी है।
कांग्रेस ने फंसाया था : बचाव पक्ष
बचाव पक्ष के वकील ने कहा, ‘हम शुरू से कह रहे थे कि अभियुक्तों के खिलाफ कोई सबूत नहीं है और उन्हें केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के प्रभाव के चलते सीबीआई ने गलत तरीके से फंसाया। आज अदालत के फैसले से न्याय की जीत हुई है।’
हाईकोर्ट जाएगी सीबीआई?
सीबीआई के वकील ललित सिंह ने इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की संभावना संबंधी सवाल पर कहा कि आदेश की प्रति हासिल होने के बाद इसे सीबीआई मुख्यालय भेजा जाएगा। उसके बाद विधि अनुभाग अध्ययन करके जो निर्णय करेगा उसी हिसाब से अपील दाखिल करने पर फैसला लिया जाएगा।