संदीप दीक्षित/टिन्यू
नयी दिल्ली, 29 सितंबर
दिल्ली में अफगान दूतावास सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए बंद हो गया है, जिसको लेकर विदेश मंत्रालय दुविधा में है। भारत में अफगान राजदूत फरीद मामुंडजे के एक पत्र में विदेश मंत्रालय से दूतावास को बंद करने और 30 सितंबर से प्रभार संभालने का अनुरोध किया गया था। फरीद मामुंडजे महीनों से देश में नहीं देखे गए हैं और उनका तालिबान सरकार के साथ भी कोई संबंध नहीं है।
विदेश मंत्रालय ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि ‘संचार और इसकी सामग्री की प्रामाणिकता की जांच की जा रही है।’ तालिबान समर्थक राजनयिकों और गनी-युग में नियुक्त राजनयिकों के बीच झगड़ा कुछ समय से चल रहा था और मई में यह तब खुलकर सामने आया जब दूतावास में ट्रेड काउंसिलर कादिर शाह ने घोषणा की थी कि तालिबान ने मामुंडज़े को बर्खास्त कर दिया है और उन्हें प्रभारी डी’एफ़ेयर (सीडीए) नियुक्त किया है। हालांकि, वह कार्यभार नहीं संभाल सके थे, क्योंकि गनी शासन के प्रति वफादार कर्मचारियों ने उन्हें परिसर से बाहर रोक दिया था। तब से, राजनयिक कर्मचारियों के बीच बचे कई वफादारों ने अन्य देशों में शरण के लिए आवेदन करने में अपने नेता गनी का अनुकरण किया है। राजदूत भी कई महीनों से लापता हैं और माना जाता है कि वे लंदन में हैं। भारत ने अभी तक अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार को मान्यता नहीं दी है और इसलिए वह काबुल द्वारा नामित सीडीए नियुक्त नहीं कर सकता है।