नयी दिल्ली, 28 अगस्त (एजेंसी)
छह राज्यों के मंत्रियों ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर कोविड-19 महामारी के बावजूद केन्द्र को नीट और जेईई की प्रवेश परीक्षायें आयोजित करने की अनुमति देने के आदेश पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया। पुनर्विचार याचिका दायर करने वाले मंत्रियों में पश्चिम बंगाल के मलय घटक, झारखंड के रामेश्वर ओरांव, राजस्थान के रघु शर्मा, छत्तीसगढ़ के अमरजीत भगत, पंजाब के बीएस संधू और महाराष्ट्र के उदय रवीन्द्र सावंत शामिल हैं।
याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत का आदेश इन परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्रों की सुरक्षा और हिफाजत के प्रति चिंताओं पर विचार करने में असफल रहा है। न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर जेईई (मुख्य) अप्रैल, 2020 और नीट-यूजी की सितंबर में होने वाली परीक्षाओं के कार्यक्रम में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुये 17 अगस्त को कहा था कि छात्रों का कीमती वर्ष बर्बाद नहीं किया जा सकता और जीवन चलते रहना है। शीर्ष अदालत ने ये परीक्षायें स्थगित करने के लिये सायंतन बिस्वास और अन्य की याचिका खारिज करते हुये कहा था कि छात्रों के शैक्षणिक जीवन को लंबे समय तक जोखिम में नहीं डाला जा सकता।
कांग्रेस ‘स्पीक अप फॉर स्टूडेंट सेफ्टी’
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने नीट एवं जेईई की परीक्षाएं कोरोना वायरस महामारी के बीच कराने के फैसले का विरोध करते हुए शुक्रवार को कहा कि सरकार को सभी पक्षों से बातचीत कर समाधान निकालना चाहिए। पार्टी ने सोशल मीडिया में ‘स्पीक अप फॉर स्टूडेंट सेफ्टी’ हैशटैग से अभियान चलाने के साथ ही आज देशभर में केंद्र सरकार से जुड़े दफ्तरों के बाहर धरने दिए। कांग्रेस के ‘स्पीक अप फॉर स्टूडेंट सेफ्टी’ अभियान के तहत राहुल गांधी ने एक वीडियो जारी कर कहा, ‘प्रिय छात्रो, आप इस देश का भविष्य हैं और आप लोग ही भारत को नयी ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। हर व्यक्ति समझता है कि पिछले तीन-चार महीनों में क्या हुआ। हर कोई समझता है कि कोविड संकट से सही ढंग से निपटा नहीं गया। आर्थिक तबाही हुई, लोगों को दर्द हुआ है।’ उधर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ‘स्पीक अप फॉर स्टूडेंट्स सेफ्टी’ अभियान के तहत वीडियो में कहा, ‘मुझे इसका अहसास है कि आप (छात्र) मुश्किल हालात का सामना कर रहे हैं। आपकी परीक्षा के मुद्दे को सबसे अधिक महत्व मिलना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘यह न सिर्फ आपके लिए बल्कि आपके परिवार के लिए भी महत्वपूर्ण है। आप हमारा भविष्य हैं। हम बेहतर भारत के निर्माण के लिए आप पर
निर्भर हैं।’
बिना परीक्षा छात्रों को प्रमोट नहीं कर सकते राज्य
नयी दिल्ली (एजेंसी) : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि राज्य और विश्वविद्यालय 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षायें आयोजित किये बगैर छात्रों को प्रमोट नहीं कर सकते। कोर्ट की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस से सुनवाई करते हुए अंतिम वर्ष की परीक्षायें कराने के यूजीसी के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि अगर किसी राज्य को लगता है कि महामारी की वजह से वह नियत तारीख तक परीक्षा आयोजित नहीं कर सकता तो उसे नयी तारीख के लिये यूजीसी से संपर्क करना होगा। पीठ ने कहा, ‘राज्य आपदा प्रबंधन कानून के तहत अंतिम वर्ष की परीक्षायें स्थगित कर सकते हैं लेकिन इसके लिये नयी तारीख यूजीसी से परामर्श करके ही निर्धारित करनी होगी।’ अंतिम वर्ष की परीक्षायें स्थगित करने के लिये शिव सेना के युवक प्रकोष्ठ युवा सेना सहित कई याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। यूजीसी ने इससे पहले कहा था कि 6 जुलाई के दिशानिर्देश विशेषज्ञों की सिफारिश पर आधारित हैं । यह दावा करना गलत होगा कि इन दिशानिर्देशों के अनुसार अंतिम साल की परीक्षायें कराना संभव नहीं ।