कोलकाता/नयी दिल्ली, 17 मई (एजेंसी)
सीबीआई ने सोमवार को नारद स्टिंग मामले में पश्चिम बंगाल के 2 मंत्रियों फरहाद हाकिम, सुब्रत मुखर्जी, तृणमूल कांग्रेस के विधायक मदन मित्रा और पूर्व मंत्री शोभन चटर्जी को कोलकाता में गिरफ्तार कर लिया। बाद में उन्हें विशेष सीबीआई अदालत ने जमानत दे दी। लेकिन, सीबीआई की अपील पर हाईकोर्ट ने देर रात जमानत पर रोक लगा दी।
नेताओं की गिरफ्तारी पर पश्चिम बंगाल में राजनीतिक घमासान शुरू हो गया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गिरफ्तार किये गये नेताओं के परिजनों के साथ सीबीआई दफ्तर पहुंचीं और खुद को भी गिरफ्तार करने की चुनौती दी। वह पूर्वाह्न 11 से शाम करीब 5 बजे तक वहां धरने पर बैठी रहीं। उनकी पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने सीबीआई दफ्तर, राजभवन समेत कई जगहों पर प्रदर्शन किये। कुछ प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाकर्मियों पर पथराव किया और बोतलें फेंकीं।
दिल्ली में सीबीआई के प्रवक्ता ने कहा कि गिरफ्तार किए गये नेताओं पर आरोप है कि उन्हें स्टिंग ऑपरेशन के दौरान कैमरे पर गैरकानूनी रूप से धन लेते हुए पकड़ा गया था। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने 7 मई को चारों नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी, जिसके बाद सीबीआई ने आरोप पत्र को अंतिम रूप दिया और उन्हें गिरफ्तार किया। ये चारों नेता 2014 में कथित अपराध के दौरान मंत्री थे। आईपीएस अधिकारी एसएमएच मिर्जा मामले में पांचवें आरोपी हैं और फिलहाल वह जमानत पर हैं।
2014 में हुआ था स्टिंग नारद टीवी न्यूज चैनल के मैथ्यू सैमुअल ने 2014 में कथित स्टिंग ऑपरेशन किया था, जिसमें तृणमूल कांगेस के मंत्री, सांसद और विधायक लाभ के बदले में कंपनी के प्रतिनिधियों से कथित तौर पर धन लेते नजर आए। यह टेप पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सार्वजनिक हुआ था। कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्टिंग ऑपरेशन के संबंध में मार्च 2017 में सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
सीबीआई बनाम सरकार नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध ने 2019 की याद ताजा कर दी है। तब कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त राजीव कुमार से सारदा चिटफंड मामले में पूछताछ करने के सीबीआई के कदम का भी पश्चिम बंगाल सरकार ने जबर्दस्त विरोध किया था। सीबीआई सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कार्रवाई, जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपे जाने के कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले में दखल के समान है।