ऋषिकेश: कोविड-19 के मामलों में लगातार हो रही वृद्धि और उससे बचाव के लिए लागू प्रतिबंधों के मद्देनजर अधिकारी इस बार गंगा तट पर हो रहे कुंभ के मुख्य स्नान पर्वों पर ज्यादा भीड़ जुटने की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। कोविड महामारी के कारण सीमित अवधि के महाकुंभ के दौरान 12 अप्रैल, 14 अप्रैल और 27 अप्रैल को तीन शाही स्नान पड़ रहे हैं, जिनमें अधिकारियों को ज्यादा भीड़ आने की उम्मीद नहीं लग रही है। हालांकि, उनका कहना है कि किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं कर ली गयी हैं। महाकुंभ मेले के पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंज्याल ने कहा, ‘हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। हालांकि, कोरोना संक्रमण के दोबारा तेजी से बढ़ने तथा उससे बचाव के लिए लागू दिशा-निर्देशों के कारण हमें बड़े स्नान पर्वों पर ज्यादा भीड़ आने की उम्मीद नहीं है।’ -एजेंसी
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।