सुरेश एस डुग्गर/ हप्र
जम्मू, 22 अक्तूबर
आतंक की राह से युवाआें को वापस लाने के लिए सेना के ‘ऑपरेशन मां’ को एक बार फिर सफलता मिली है। उत्तरी कश्मीर के सोपोर के तुज्जर इलाके में छिपे 2 स्थानीय आतंकवादियों ने अपनी मां और परिजनों की पुकार सुन कर मुठभेड़ से पहले सुरक्षाबलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। हथियार छोड़कर जब वे बाहर आये तो मां से गले लग कर खूब रोये। इन आतंकियों को सुरक्षाबलों ने घेर लिया था। सुरक्षाबलों ने उन्हें कई बार आत्मसमर्पण करने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं माने। दोनों आतंकियों की पहचान जाहिर होने पर उनके परिजनों को लाया गया। मुठभेड़ स्थल पर पहुंचे परिजनों ने परिवार का हवाला देते हुए उन्हें आतंकवाद की राह छोड़ने की गुहार लगाई। परिजनों ने कहा कि यदि आज उन्हें कुछ हो जाता है तो उनके साथ परिवार भी खत्म हो जाएगा। कश्मीर के आईजीपी विजय कुमार ने कहा कि परिजनों, खासकर अपनी मां की पुकार व गुहार कानों तक पहुंचते ही दोनों युवक मान गये। दोनों ने अपने हथियार जमीन पर रखकर पुलिस और सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। आईजीपी ने कहा कि दोनों युवकों द्वारा आत्मसमर्पण करने से उनके परिजन ही नहीं, पुलिस व सेना भी खुश है। पुलिस ने आत्मसमर्पण करने वाले युवकों की पहचान जाहिर नहीं की है, परंतु बताया जा रहा है कि ये दोनों बीती 24 सितंबर को अपने घर से लापता हो गये थे। दोनों अल-बदर में शामिल हो गये थे।
हफ्ते में दूसरी सफलता :
इससे पहले बीते शुक्रवार को बडगाम के चडूरा इलाके में सेना और पुलिस ने लश्कर के एक आतंकी को सरेंडर करवाने में सफलता प्राप्त की थी। उस आत्मसमर्पण की प्रक्रिया का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें सेना का एक जवान मुठभेड़स्थल पर फंसे आतंकी की मां से उसे सरेंडर करवाने की अपील करवा रहा था। दूसरा जवान आतंकी की मां के सामने ढाल बनकर खड़ा दिखाई दे रहा था, ताकि अगर आतंकियों की ओर से फायरिंग की जाती है तो मां को कोई नुकसान न पहुंचे। वीडियो में आतंकी नाजिम की मां कह रही थी, यहां आ जा, आ जा नाजिम, मां के वास्ते बाहर आ जा, मां की खातिर गन छोड़कर बाहर आ जा। और उसने हथियार छोड़ मां की पुकार सुन ली थी।