नयी दिल्ली, 17 अक्तूबर (एजेंसी)
वैश्विक भूख सूचकांक-2020 में 107 देशों की सूची में भारत 94वें स्थान पर और ‘गंभीर’ श्रेणी में है। पिछले साल 117 देशों की सूची में भारत का स्थान 102वां था। पड़ोसी बांग्लादेश, म्यांमार और पाकिस्तान भी ‘गंभीर’ श्रेणी में हैं। लेकिन, इस साल के भूख सूचकांक में भारत से ऊपर हैं। बांग्लादेश 75वें, म्यांमार 78वें और पाकिस्तान 88वें स्थान पर है। रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल 73वें और श्रीलंका 64वें स्थान पर है। दोनों देश ‘मध्यम’ श्रेणी में आते हैं। चीन, बेलारूस, यूक्रेन, तुर्की, क्यूबा और कुवैत सहित 17 देश भूख व कुपोषण पर नजर रखने वाले वैश्विक भूख सूचकांक (जीएचआई) में शीर्ष पर हैं।
रिपोर्ट के अनुसार भारत की 14 फीसदी आबादी कुपोषण की शिकार है। विशेषज्ञों का मानना है कि खराब क्रियान्वयन प्रक्रिया, प्रभावी निगरानी की कमी और कुपोषण से निपटने के लिए दृष्टिकोण में समन्वय का अभाव अक्सर खराब पोषण सूचकांकों का कारण होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान, नयी दिल्ली में वरिष्ठ शोधकर्ता पूर्णिमा मेनन ने कहा कि भारत की रैंकिंग में समग्र परिवर्तन के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों के प्रदर्शन में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘भारत में पैदा होने वाला हर पांचवां बच्चा उत्तर प्रदेश में है। इसलिए यदि उच्च आबादी वाले राज्य में कुपोषण का स्तर अधिक है तो यह भारत के औसत में बहुत योगदान देगा।’ मेनन ने कहा अगर हम भारत में बदलाव चाहते हैं, तो हमें उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश और बिहार में भी बदलाव की आवश्यकता होगी।
खास ‘मित्रों’ की जेबें भर रही सरकार: राहुल
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वैश्विक भूख सूचकांक को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने भूख सूचकांक से संबंधित एक ग्राफ शेयर करते हुए ट्वीट किया, ‘भारत का गरीब भूखा है, क्योंकि सरकार सिर्फ अपने कुछ खास ‘मित्रों’ की जेबें भरने में लगी है।’