सुरेश एस डुग्गर
जम्मू, 21 नवम्बर
अगर आप रोमांच के दिवाने हैं तो यह खबर आपके लिए है। दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित खारे पानी की झील पैंगांग लेक पर आप मैराथन में हिस्सा ले सकते हैं। पानी पर नहीं बल्कि इसके जम जाने पर अर्थात् बर्फ में बदल जाने पर। यही नहीं लद्दाख में ही एक और रोमांच आपका इंतजार कर रहा है, यह है सर्दियों में बर्फ में बदल जाने वाली जंस्कार नदी पर ट्रेकिंग का आनंद!
हालांकि जंस्कार नदी के जम जाने के बाद इस पर होने वाली कई किलोमीटर की ट्रेकिंग, जिसे चद्दर ट्रैक कहा जाता है, कई सालों से हो रही है पर पैंगांग लेक पर मैराथन पहली बार होगी। मैराथन करवाने के लिए लद्दाख आटोनोमस हिल डिवलेपमेंट कांउंसिल अर्थात एलएएचडीसी ने इसकी योजना तो बनाई है पर सेना की ओर से इस पर फिलहाल चुप्पी साधी हुई है। यह सब लद्दाख में विंटर टूरिज्म की योजनाओं के तहत किया जाएगा। इसके अतिरिक्त भी और कई योजनाओं को एलएएचडीसी की बैठक में अंतिम रूप दिया गया है। एलएएचडीसी के चेयरमेन तथा चीफ काउंसलर ताशी गायलसन ने इन दो रोमांचकारी योजनाओं को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित करने पर जोर दिया।
उन्होंने बताया कि अगर चीन सीमा पर स्थित पैंगांग झील के आसपास परिस्थितियां समाान्य रहीं तो वे सर्दी के मौसम में जम जाने वाली इस झील पर मैराथन करवाना चाहेंगें। वे लोगों को इस पर चलने का न्यौता भी दे रहे हैं। जानकारी के लिए पैंगांग झील के किनारों पर कब्जा जमाए बैठी चीनी सेना के साथ पिछले तीन सालों से तनातनी के माहौल के बावजूद पैंगांग झील तक टूरिस्टों को जाने की अनुमति प्रदान की जा रही है।
विंटर टूरिज्म की योजनाओं के तहत बीआरओ के प्रोजेक्ट योजक के अधिकारियों को लेह-जंस्कार ट्रेक रूट के साथ बनाई जाने वाली सड़क के लिए इन सर्दियों में कम से कम धमाके करने के लिए कहा गया है ताकि कहीं उन धमाकों से बर्फ टूट न जाए और कोई हादसा पेश आए।
हालांकि चद्दर ट्रैक में शामिल होने वालों की सेहत और दुर्घटनाओं से निपटने की तैयारियां भी लेह स्वास्थ्य विभाग ने आरंभ कर दी है और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि इसमें शामिल होने वालों की जान व सेहत का बीमा होना आवश्यक शर्त के तौर पर लागू किया जाए।