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India Tourist Destination : अंग्रेजों की देन यह खूबसूरत हिल स्टेशन, कभी भारतीयोंं के लिए लगा था 'Not Allowed' का बोर्ड

इस हिल स्टेशन पर कभी भारतीयोंं को नहीं थी पैर रखने की इजाजत, आज हनीमून कपल्स की है फेवरेट डेस्टिनेशन
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चंडीगढ़, 10 फरवरी

India Tourist Destination : देहरादून की पहाड़ियों पर स्थित मसूरी ना सिर्फ अपनी खूबसूरती बल्कि एडवेंचर्स प्लेस के लिए भी दुनियाभर में मशहूर है। पहाड़ों की रानी के नाम से मशहूर मसूरी में सिर्फ देश ही नहीं विदेश से भी लोग ट्रैवल व ट्रैकिंग करने के लिए आते हैं। मगर, क्या आप जानते हैं कि भारतीयों की फेवरेट डेस्टिनेशनमें से एक इस हिल स्टेशन पर कभी उनको पैर रखने तक की भी इजाजत नहीं थी। चलिए बताते हैं मसूरी से जुड़ा दिलचस्‍प इतिहास, जो शायद ही किसी को पता हो।

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ब्रिटिशर्स की देन यह खूबसूरत हिल स्टेशन

हरी-भरी हरियाली, गहरी घाटियों और प्रदूषण रहित हवा से घिरे मसूरी को पहले 'मंसूर' कहा जाता था, लेकिन फिर स्थानीय लोगों और ब्रिटिश अफसरों ने इसे मसूरी में बदल दिया। हालांकि मसूरी बसाने का सबसे ज्यादा श्रेय 1823 में अंग्रेजी हुकूमत के एक प्रशासनिक अफसर एफ.जे. शोर को जाता है।

ब्रिटिशर्स ने की लंढौर बाजार की शुरुआत

एफ.जे. शोर यहां ट्रैकिंग करने आए थे, लेकिन फिर उन्होंने पाया कि इस पर्वत से दून घाटी का दृश्य काफी खूबसूरत दिखाई देता है। वह इस स्थान से इतने मोहित हो गए कि उन्होंंने यहां मचान बना ली। कुछ समय बाद अंग्रेजों ने यहां पहला भवन 'मुलिंगर' बनवाया। इसके बाद 1828 में यहां लंढौर बाजार की नींव रखी गई। 1829 में मि. लॉरेंस ने यहां पहली दुकान खोली। 1926-31 के तक मसूरी में पक्‍की सड़कें और जन जीवन शुरु हो गया।

मसूरी में शराब बनाने का लंबा इतिहास

मसूरी में शराब बनाने का लंबा इतिहास अंग्रेजों से भी जुड़ा है, क्योंकि वे भी बड़े शराब निर्माता थे। भारत का पहला शराब बनाने का घर ‘द ओल्ड ब्रेवरी’ मसूरी में सर हेनरी बोहले द्वारा स्थापित किया गया था। हालांकि शुरू में वे केवल बीयर बनाने के लिए समर्पित थे, लेकिन बाद में उन्हें लोकप्रियता मिली और उन्होंने व्हिस्की भी बनानी शुरू कर दी।

भारतीयों के घूमने पर पाबंदी

ब्रिटिश काल में यहां भारतीयों को पैर रखने तक की भी अनुमति नहीं थी। यही नहीं, ब्रिटिशर्स ने मसूरी के माल रोड पर बड़े-बड़े लेटर्स में लिखवा दिया था- 'Indians and Dogs Not Allowed'। धीरे-धीरे यह हिल स्टेशन अंग्रेजों के लिए मनोरंजन का स्थल बन गया और वो यहां पार्टी व छुट्टियां व्यतीत करने के लिए आने लगे।

पं मोतीलाल नेहरू ने तोड़ा नियम

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के पिता पंडित मोतीलाल नेहरू ने इस नियम को तोड़ दिया। दरअसल, उनके परिवार को यह जगह बहुत पसंद दी और वह अक्सर यहां आते-जाते थे। बता दें कि पंडित मोतीलाल नेहरू भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, और कार्यकर्ता होने के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो बार अध्यक्ष भी रहे।

नाम रखा गया था मंसूर, बाद में बना मसूरी

उस समय यहां मंसूर नाम का एक अनोखा पौधा उगता था, जिसके कारण इस हिल स्टेशन को मन्‍सूरी कहा जाता था लेकिन फिर इसे मसूरी कहा जाने लगा। पुराने लोग अभी भी इस हिल स्टेशन को मन्‍सूरी कहते हैं। चूंकि न्यूली मैरिड कपल्स में यह जगह खूब प्रसिद्ध है इसलिए मसूरी को 'भारत की हनीमून राजधानी' भी कहा जाता है।

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