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नये स्टारडम की तलाश में दीपिका

असीम चक्रवर्ती अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की दो अहम फिल्में ‘काल्की 2898 एडी’ व ‘फाइटर’ आगामी नववर्ष के शुरू में रिलीज होंगी। जाहिर है ये दोनों ही फिल्में दीपिका के लिए काफी अहम हैं। असल में फिल्म ‘छपाक’ से उनके स्टारडम...

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असीम चक्रवर्ती

अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की दो अहम फिल्में ‘काल्की 2898 एडी’ व ‘फाइटर’ आगामी नववर्ष के शुरू में रिलीज होंगी। जाहिर है ये दोनों ही फिल्में दीपिका के लिए काफी अहम हैं। असल में फिल्म ‘छपाक’ से उनके स्टारडम में जो ग्रहण शुरू हुआ है,वह लगातार जारी है। इसके बाद आयी उनकी ज्यादातर फिल्मों गहराइयां,पठान, सर्कस,जवान आदि का रिस्पान्स उनके लिए कुछ खास नहीं रहा है। ऐसे में अपनी जोरदार वापसी के लिए दीपिका को बिल्कुल नए प्लेटफॉर्म की जरूरत है।

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साउथ का सहारा

वैसे तो दीपिका साउथ की फिल्मों में यदा-कदा काम करती रहती हैं। लेकिन अब उन्होंने साउथ की फिल्मों के प्रति ज्यादा विश्वास जताया है। काल्की 2898 एडी और फाइटर जैसी उनकी दोनों फिल्में इस बात का स्पष्ट संकेत हैं। साफ है कि ये दोनों ही फिल्में बिग बजट की हैं और इनमें उनका रोल भी काफी दमदार है। साउथ के दिग्गज निर्देशक नाग अश्विन की फिल्म की बात जाने दें,तो सिद्धार्थ आनंद की ‘फाइटर’ में वह रितिक रोशन के साथ एक्शन भी करेंगी। शायद साउथ की फिल्मों की जो तेज बयार चल रही है,उस पर गौर करते हुए दीपिका ने अपनी यह फिल्मी स्ट्रेटजी बदली है।

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प्रचार का आसरा कब तक

दीपिका भी बॉलीवुड के दूसरे बड़े सितारों की तरह पब्लिसिटी में माहिर हैं। इसके चलते ही वह अपनी हर नई फिल्म,वह ‘सर्कस’ या ‘जवान’ का कैमियो रोल ही क्यों न हो,कई क्रिटिक के जरिये अपने हर काम में प्रचार का एक कोना ढूंढ़ ही लेती हैं। पर अब दर्शक बॉलीवुड सितारों के ऐसे तौर-तरीकों को बखूबी समझने लगे हैं। इसी वजह से दीपिका के स्टारडम पर असर पड़ा है।

मगर स्टारडम चूका नहीं

अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को चुनौती देने के लिए अकसर ही कभी कंगना, कियारा या कृति सैनन जैसी अभिनेत्रियों का नाम सामने आता रहता है। लेकिन फिर जल्दी ही ये हीरोइन कहीं गुम हो जाती हैं। जहां तक दीपिका के चरम स्टारडम का सवाल है,वह अब भी पूरी तरह से क्षीण नहीं हुआ है। वह भूली-बिसरी दास्तां नहीं बनी हैं। उनके पास मौजूद बड़े-बड़े इंडोर्समेंट इस बात का साफ संकेत हैं। संजीदा आलोचक उन्हें आज भी बेहद बड़ी रेंज की हीरोइन मानते हैं। उनके हिसाब से ‘पठान’ का रोल उनकी रेंज के अनुकूल नहीं था। उनकी दृष्टि में तो उन्हें ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ जैसी फिल्म को कभी मिस नहीं करना चाहिए था। अब दीपिका नये सिरे से अपनी उन खामियों को सुधार रही हैं।

विवाह का कोई फर्क नहीं

अमूमन शादी के बाद ज्यादातर बॉलीवुड अभिनेत्रियों की सक्रियता बहुत कम हो जाती है। मगर दीपिका इस मामले में अपवाद साबित हुई हैं। बीच में उनके रवैये से ऐसा जरूर लग रहा था कि उन्हें अपने स्टारडम की कोई चिंता नहीं है। मगर उनका मन फिर काम में रमा है। जिसके चलते वह फिल्मों के छोटे रोल भी बड़े मजे से कर रही हैं। यूं इसमें कुछ गलत भी नहीं है। कुछ मजबूरी भी है,कुछ बड़े बैनर की गुड बुक्स में रहने के लिए ऐसा करना ही पड़ता है।

एक्टिंग की पॉवर

दीपिका की सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि उनके एक्टिंग टैलेंट का सार्थक उपयोग यदा-कदा ही हुआ है। कभी उनकी शुरुआती फिल्म ‘ओम शांति ओम’ देखने के बाद एक पत्रकार ने बड़ी रोचक टिप्पणी की थी-यह तो एक्टिंग का पॉवर हाउस है। पर इसके बाद अरसे तक इस पॉवर का स्पार्क दिखाई नहीं पड़ा। फिर ‘पीकू’ में उन्होंने टैलेंट का जबरदस्त परिचय दिया। फिर लंबी खामोशी...। ऐसे में एक पत्रकार मित्र की टिप्पणी याद आती है- हमारे यहां टैलेंटेड हीरोइन को इतना डॉमिनेट क्यों किया जाता है। पहले के दौर में तो ऐसा नहीं होता था।

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