जुनून के गीतों से सांस्कृतिक सुकून : The Dainik Tribune

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जुनून के गीतों से सांस्कृतिक सुकून

जुनून के गीतों से सांस्कृतिक सुकून

लोक संगीत के प्रति बालपन की दीवानगी परवान चढ़ी 17 साल की उम्र में, जब इंद्रजीत ने पहला वीडियो एलबम ‘दिल का क्या कसूर’ लांच किया। वर्ष 2010 में इसी एलबम के साथ हिमाचली लोक गायिकी को अपना नया सितारा इन्द्रजीत मिला। यह एलबम इंद्रजीत ने लॉन्च किया बिना किसी मदद के। इस एलबम में 10 गाने थे जो गायक ने खुद लिखे व कंपोज़ किये थे। हिमाचल प्रदेश के क़ुल्लू जिले के गांव दोगरी में जन्मे हैं ये लोकगायक। इन्द्रजीत ने मुड़कर कभी पीछे नहीं देखा और लोगों ने भी खूब प्यार दिया। इन्द्र जीत का सपना था कि वह हिमाचली संस्कृति को पहाड़ी गानों के जरिये देश-विदेश तक पहुंचाये। इस सफर में कई समस्याएं भी आईं। साल 2016 से इन्द्र जीत ने परंपरागत संस्कृति पर काम करना शुरू किया। सबसे पहले एलबम ‘हाड़े मेरे मामुआ’ लेकर आये जिसके माध्यम से पारंपरिक वेशभूषा में क़ुल्लू की सांस्कृतिक झलक के साथ यूट्यूब के माध्यम से देश-विदेश तक पहुंचाया। लोगों ने इसे खूब पसंद किया व इंद्रजीत को हिमाचल में पहचान मिली। इसके बाद बहुत सारे गीत बनाए जिनमें हिमाचल का सांस्कृतिक व सामाजिक सन्देश होता है।

इंद्रजीत करीब 100 हिमाचली गाने गा चुके हैं जिसे श्रोताओं व दर्शकों का सकारात्मक प्रतिसाद मिला। सोशल मीडिया पर श्रोताओं के समर्थन से लाखों का दायरा पार किया। हिमाचल प्रदेश पुलिस की गुजारिश पर इन्द्र जीत ने गीत बनाया जिसका सन्देश था नशा मुक्त हिमाचल प्रदेश| जिसका लोकार्पण किया था हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने। इन्द्रजीत ने स्वर्णिम हिमाचल के उपलक्ष्य में भी गीत बनाया। इन्द्रजीत के गीत यूट्यूब में ट्रेंड कर चुके हैं। हिमाचल फोक स्टार का अवार्ड देकर भी इन्हें सम्मानित किया गया। -फीचर डेस्क

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