मुंबई, 15 सितंबर (एजेंसी)
नारकोटिक्स नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले के ड्रग्स कनेक्शन से संबंधित जांच के सिलसिले में दो और लोगों को गिरफ्तार किया है। जांच एजेंसी राजपूत की लिव-इन पार्टनर एवं अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।
एनसीबी ने सोमवार को रिया के भाई शौविक चक्रवर्ती के स्कूल के दोस्त सूर्यदीप मल्होत्रा को मुंबई से गिरफ्तार किया। इसके अलावा, एनसीबी ने शनिवार को गोवा से क्रिस कोस्टा को हिरासत में लिया है। उसे मुंबई लाया गया और पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। इसी के साथ एनसीबी कुल 18 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
मादक पदार्थ मामले की जांच कर रही एनसीबी की विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने रिया, उनके भाई शौविक, राजपूत के प्रबंधक सैमुयल मिरांडा, घरेलू सहायक दीपेश सावंत और अन्य को गिरफ्तार कर चुकी है। वे अभी न्यायिक हिरासत में हैं। मामले से संबंधित मनी लांड्रिंग की तहकीकात कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने रिया के फोन से मिली सोशल मीडिया चैट को एनसीबी के साथ साझा किया था जिसमें प्रतिबंधित मादक पदार्थ के इस्तेमाल का संकेत मिलता है। इसके बाद एनसीबी ने मामले की जांच शुरू की। उधर सीबीआई राजपूत को खुदकुशी के लिए उकसाने के आरोप पर रिया और अन्य के खिलाफ अलग से जांच कर रही है।
मीडिया रिपोर्टिंग पर केंद्र को नोटिस
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर उस याचिका पर मंगलवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया जिसमें अनुरोध किया गया है कि मीडिया को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े मुद्दों और मामले की जांच की रिपोर्टिंग करने से रोका जाए। हाईकोर्ट में दायर यह ऐसी तीसरी अर्जी है। एक याचिका पुणे में रहने वाले फिल्म निर्माता नीलेश नवलखा और दो अन्य और दूसरी राज्य के 8 पूर्व पुलिस अधिकारियों द्वारा दायर की गई है। अदालत ने अब इन तीनों याचिकाओं पर संयुक्त सुनवायी 8 अक्तूबर को निर्धारित की है।
कंगना ने बीएमसी से मांगा 2 करोड़ मुआवजा
अभिनेत्री कंगना रनौत ने अपने बंगले में की गई कथित ‘अवैध’ तोड़फोड़ के लिए बृह्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) से 2 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग के लिए बांबे हाईकोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में संशोधन किया है। उपनगरीय इलाके बांद्रा स्थित रनौत के बंगले में बीएमसी ने गत 9 सितंबर को कथित अवैध निर्माण को तोड़ा था, जिसके खिलाफ अभिनेत्री ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। तब जस्टिस एसजे कठवल्ला की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बीएमसी की कार्रवाई पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि यह ‘दुर्भावनापूर्ण’ प्रतीत होती है। रनौत ने अपनी संशोधित याचिका में आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ की गई उनकी टिप्पणियों के परिणामस्वरूप बीएमसी ने तोड़फोड़ की कार्रवाई का फैसला किया। याचिका में यह भी दलील दी गई कि रनौत ने बंगले में ढांचागत मरम्मत के लिए बीएमसी से अनुमति मांगी थी और 2018 में यह अनुमति प्रदान भी की गई थी। याचिका में अदालत से बीएमसी की कार्रवाई को अवैध घोषित करने और ‘संबंधित अधिकारियों’ से नुकसान की भरपाई के बतौर 2 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का अनुरोध किया गया है। मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर के लिए निर्धारित की गई है