देश के विभिन्न राज्यों में हुए 3 लोकसभा और 29 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के आए परिणामों ने सत्तारूढ़ पार्टी की चिंताए बढ़ा दी हैं। खास तौर पर हिमाचल प्रदेश और बंगाल के नतीजों ने तो और भी चौंकाया है। 2022 के अगले पूर्वार्द्ध में हिमाचल प्रदेश सहित उससे सटे कई राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, पंजाब एवं उत्तराखण्ड में चुनाव होने हैं। इससे पूर्व बीजेपी के लिए इस तरह का परिणाम आना बेहद चिंताजनक है। कांग्रेस के बदलते समीकरण ने उसे जीवनदान देने की कोशिश की है। एक बार फिर से कांग्रेस की गाड़ी पटरी पर लौटने की संकेत मिल रहे हैं। हि.प्र. के मुख्यमंत्री ने इस बड़ी हार की वजह महंगाई को बताया है। बीजेपी पर इस उपचुनाव से भले ही उतना गहरा असर न पड़े, लेकिन समीकरण इसी को सोच-विचार कर बनेंगे।
शशांक शेखर, नोएडा
चुनौती बाकी
1 नवंबर के दैनिक ट्रिब्यून में मनोहर लाल का ‘व्यवस्था परिवर्तन से हासिल विकास के लक्ष्य’ लेख अपने शासनकाल के 7 सालों को लेकर सरकार के राज्य हित में किए जाने वाले कार्यों का वर्णन करने वाला था। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के विकास, कल्याण तथा भ्रष्टाचार रोकने के लिए यथासंभव प्रयत्न किए हैं, बेशक उनके प्रशासन से पहले की सरकारों द्वारा किए गए कार्यों का भी उन्होंने मूल्यांकन किया है। प्रदेश में बढ़ती बेकारी, किसानों की समस्याएं, महंगाई, उद्योग धंधों का बंद होना, लोगों की क्रय शक्ति का कम होना सरकार के लिए चुनौती बनी हुई है।
शामलाल कौशल, रोहतक
प्रदूषण मुक्त पर्व
प्राचीन काल में दिवाली का त्योहार घी और तेल के दीयों को जलाकर मनाया जाता था, वहीं आधुनिक युग में यह पर्व पटाखों के साथ मनाया जाने लगा है। इन सब से न केवल आर्थिक नुकसान होता है बल्कि पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा भी बढ़ जाती है। इसलिए हमें प्रदूषण मुक्त दिवाली मनानी चाहिए। ऐसा करने से हम आर्थिक नुकसान के साथ-साथ प्रदूषण से भी प्रभावित नहीं होंगे।
राजबीर सिंह, शाहकोटी