24 अप्रैल को दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित राजकुमार सिंह के ‘लापरवाह समाज, गैर जिम्मेदार सत्ता तंत्र’ लेख में लेखक कोरोना की दूसरी लहर और आसन्न भयानक संकट की आहट से विक्षुब्ध है। हमने सबक नहीं सीखा कोरोना की पहली लहर से और लगे ढपली बजाने कि कोरोना गया-कोरोना गया? न कारगर दवा, न पर्याप्त ऑक्सीजन न अस्पतालों में बेड, दम तोड़ते लोग और शवों की पंक्तिबद्ध कतारें? कोरोना के इलाज की अनिश्चितता और नये-नये उपायों बीच सही है कि हम स्वयं भी अपना ध्यान रखें। लेख उन सामाजिक संस्थाओं और करुणाशील लोगों का शुक्रगुज़ार है जो आपातकाल में आगे आये। तंत्र और आमजनों को मिलकर इस रोग से निजात पानी ही होगी।
मीरा गौतम, जीरकपुर
मानवता शर्मसार
महामारी की दूसरी लहर ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। बढ़ते मौत के आंकड़े सच्चाई को बयां कर रहे हैं। यह सब हमारी लापरवाही और लचर व्यवस्था को उजागर कर रहा है। श्मशान और अस्पताल के बीच चंद फंसी सांसें जीवन के साथ संघर्ष करती हुई नजर आ रही हैं। ऑक्सीजन के सिलेंडर, इंजेक्शन और बेड को लेकर मारामारी मची हुई है। ऐसे मुसीबत के दौर में भ्रष्टाचार, चोरी, लापरवाही और अपने ईमान को बेचने वाले तथाकथित लोगों ने मानवता को शर्मसार कर दिया है।
प्रकाश हेमावत, टाटा नगर, रतलाम