Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

भगवान श्रीकृष्ण ने जो कहा, श्रीराम ने जो किया वह करणीय है : विजय कौशल महाराज

विनोद लाहोट/निस समालखा,16 फरवरी राम राज्य सिर्फ नारे लगाने से नहीं आता। राम राज्य तो नीतियों का पालन करने, परोपकार करने व सत्य का आचरण करने से आता है। प्रभु श्रीराम ने अपने जीवन में कभी उपदेश नहीं दिया, उन्होंने...

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
समालखा मे फाल्गुनोतसव के दौरान श्रीराम कथा करते हुए संत विजय कौशल महाराज । -निस
Advertisement

विनोद लाहोट/निस

समालखा,16 फरवरी

Advertisement

राम राज्य सिर्फ नारे लगाने से नहीं आता। राम राज्य तो नीतियों का पालन करने, परोपकार करने व सत्य का आचरण करने से आता है। प्रभु श्रीराम ने अपने जीवन में कभी उपदेश नहीं दिया, उन्होंने तो जीवन में करके दिखाया है। यह उद्गार संत विजय कौशल महाराज ने समालखा की नयी अनाज मंडी में श्री श्याम फाल्गुनोतसव मे श्रीराम कथा सुनाते हुए व्यक्त किए।

Advertisement

श्री श्याम बाबा सेवा मंडल द्वारा आयोजित संगीतमय श्रीराम मे आज के यजमान संदीप मित्तल, प्रदीप बंसल, नितीन गोयल व प्रमोद गोयल रहे। इस मौके पर मंडल अध्यक्ष सत्यवीर गुप्ता, महासचिव प्रदीप बंसल, नंद किशोर सिंघल, मोहित गोयल, विनय जैन, नितिन गोयल, कृष्ण बंसल आदि उपस्थित रहे। ब्यास गद्दी पर विराजमान कथा मर्मज्ञ संत विजय कौशल महाराज ने राम वनवास, कैकयी-मंथरा और दशरथ-कैकयी संवाद का संगीतमय वृतांत सुनाते हुए बताया कि जब अयोध्या की राजसभा मे राजा दशरथ आये तो सभी ने खड़े होकर उनकी सम्मान किया और उनके जयकारे लगाये तो राजा दशरथ ने भरी सभा में जेब से सीसा निकाल कर अपना चेहरा देखा तो कनपटी के पास सफेद बाल को देखकर उन्होंने राज्य सिहासन राम को देने का निर्णय किया।

स्वामी विजय कौशल ने बुजुर्गों का आह्वान करते हुए कहा कि वे अपनी जीवन भर की सारी कमाई बेटे बहूओं पर न लुटायें बल्कि किसी को दान देने के लिए व अपने लिए कुछ बचा कर जरूर रखें। राजा दशरथ को भी जीवन में एक भूल के लिए अंतिम क्षणों मे हाय-हाय कर जीवन त्यागना पड़ा था। विजय कौशल महाराज ने श्रीराम कथा को राम चरित्र बताते हुए कहा कि श्रीराम चरितमानस गीता का ज्ञान है, जो भगवान श्रीकृष्ण ने हरियाणा की धरती पर दिया था। उन्होंने कहा कि ज्ञान हमेशा बोल कर दिया जाता है और चरित्र करके दिखाया जाता है।

इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने जो कहा है, वह करणीय है और श्रीराम ने जो किया है, वह करणीय है।

नेताओं की तुलना कोबरा से की

संत विजय कौशल महाराज ने श्री राम कथा के दौरान एक प्रसंग सुनाते हुए नेताओं की तुलना कोबरा सांप से की। उन्होंने कहा कि आपने देखा होगा कि नेता जब स्टेज पर आते हैं तो लोग उनकी जय जयकार करते हैं तो वे सिर झुकाकर नहीं बल्कि कोबरा सांप के फन की तरह हाथ हिलाकर जनता का अभिवादन करते हैं।

Advertisement
×