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धान की खरीद का इंतजार बढ़ा, किसान फसल को कौड़ियों के भाव बेचने को मजबूर

रमेश सरोए/हप्र करनाल, 24 सितंबर प्रदेश में चुनावी दौर चल रहा हैं, जिसकी ओर सभी की निगाहें लगी हैं। किसानों की धान की फसल पककर तैयार हो चुकी हैं। उसकी तरफ सरकार का अभी कोई ध्यान नहीं हैं, जिसके चलते...

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रमेश सरोए/हप्र

करनाल, 24 सितंबर

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प्रदेश में चुनावी दौर चल रहा हैं, जिसकी ओर सभी की निगाहें लगी हैं। किसानों की धान की फसल पककर तैयार हो चुकी हैं। उसकी तरफ सरकार का अभी कोई ध्यान नहीं हैं, जिसके चलते किसान मंडियों में फसल को औने-पौने दामों में बेचने को विवश है।

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धान की सरकारी खरीद 23 सितंबर से शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन अब उसे आगे बढ़ाकर एक अक्तूबर कर दिया गया हैं जिससे किसान खासे निराश हैं। उन्हें फसल प्रति एकड़ 10 से 12 हजार रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है, चुनावी दौर चल रहा है जिसमें उनकी कोई सुनने वाला नहीं है।

किसान रामेश्वर, पालेराम, संदीप और प्रकाश ने बताया कि पीआर धान की बहुत सी किस्में 90 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है, हरियाणा सरकार ने 15 जून से धान लगाने की तारीख घोषित की थी। इस हिसाब से 15 सितंबर तक धान की सरकारी खरीद शुरू होनी चाहिए थी लेकिन एक अक्तूबर से खरीद शुरू करने का कौन सा औचित्य हैं। किसानों को अपनी फसल को औने-पौने दामों पर बेचने पर विवश किया जा रहा हैं। खराब मौसम की वजह से किसी भी वक्त बरसात का डर सताता रहता हैं, जिस वजह से किसान फसल कटाई के लिए विवश हैं। हरियाणा सरकार से गुजारिश है कि सरकारी खरीद जल्द से जल्द शुरू की जाए ताकि किसानों की फसल को सरकारी दाम पर बेचा जा सके।

सरकार धान की सरकारी खरीद जल्द शुरू करे : रजनीश चौधरी

हरियाणा स्टेट अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन के चेयरमैन ओर पंचायत नई अनाज मंडी आढ़ती एसोसिएशन प्रधान रजनीश चौधरी ने कहा कि सरकार ने 23 सितंबर से धान की सरकारी खरीद की घोषणा की थी, लेकिन उसे एकदम कैंसिल कर 1 अक्तूबर कर दिया। जो गलत हैं, क्योंकि किसानों ने सरकार की हिदायतों अनुसार ही धान लगाई थी, जो अब सही समय पर पककर तैयार हो चुकी हैं। लेकिन सरकार समय पर धान नहीं खरीद रही। ये किसानों के साथ अन्याय हैं, किसानों जो धान सरकारी रेट पर बिकना चाहिए था। वो मंडियों में औने पौने दामों पर बिक रहा हैं। उन्होंने कहा कि सरकार धान की सरकारी खरीद जल्द से जल्द शुरू करें।

व्यापारियों की बल्ले-बल्ले

समय पर धान लगाने के बावजूद किसानों की फसल समय पर नहीं बिक रही, जिसके चलते राइस मिलर्स औने-पौने दामों पर धान खरीद कर मोटा मुनाफा कूट रहे हैं। जो फसल तैयार हो गयी है किसान उसे घर पर नहीं रख सकता इसलिये किसान को मजबूरी में फसल बेचनी पड़ती हैं। किसानों ने सरकार से सवाल किया है कि उन्होंने समय पर धान लगाकर कौन सा गुनाह कर दिया? सरकार की बात ही मानी हैं, जब सरकार की बात मानकर धान लगाया हैं तो सरकार को समय पर धान की सरकारी खरीद क्यों शुरू नहीं करती? राइस मिलर्स को प्रति क्विंटल 500-600 रुपए का मुनाफा हो रहा हैं जबकि उन्हें नुकसान। बता दें कि करनाल में करीब 4 लाख 30 हजार एकड़ में पीआर धान की फसल लगी हुई हैं।

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