हिमाचल प्रदेश से सतलुज नदी के पानी को सरस्वती नदी में लाने की तैयारी
सरस्वती हेरिटेज विकास बोर्ड ने हिमाचल प्रदेश से सतलुज नदी के पानी को सरस्वती नदी में लाने की तैयारी शुरू की है।
हरियाणा स्पेस सेंटर के निदेशक सुल्तान सिंह व सेंटर वाटर कमीशन के उपनिदेशक पी दोरजे ज़्यांबा से सरस्वती बोर्ड के डिप्टी चेयरमैन धूमन सिंह किरमच ने पंचकुला में वर्चुअल मीटिंग की।
धूमन सिंह ने बताया कि इन दोनों अधिकारियों ने हिमाचल की नदियों पर बहुत काम किया हुआ है। इसी योजना के तहत सतलुज के पानी को सोलन या बिलासपुर, सोलन से नाहन के मात्र की खोल व शिमला के बाद टौंस नदी के माध्यम से सरस्वती नदी में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने बताया सिंधु, झेलम व चिनाब, रावी, व्यास, सतलुज के पानी को हरियाणा, पंजाब, राजस्थान की नदियों में बांटा जा सकता है।
हरियाणा में शिवालिक की पहाड़ियों से ऊपर नाहन के पास से टौंस का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। बोर्ड सरस्वती के उद्गम स्थल आदिबद्री के माध्यम से प्लानिंग बना रहे हैं जिसका प्रोजेक्ट बनाकर जल्द ही मुख्यमंत्री नायब सैनी को दिया जाएगा।
आदिबद्री में बन रहा डैम
किरमच ने बताया कि डैम का कार्य आदिबद्री में सरस्वती के उद्गम स्थल पर चल रहा है जिससे सरस्वती नदी में 12 महीने पानी चलाने में आसानी होगी और अब हिमाचल के बिलासपुर से आने वाली नदियों में शिवालिक की रेंज में पानी के कैच मेंट को भी सरस्वती में इस्तेमाल की तैयारी बोर्ड कर रहा है।
बोर्ड के अथक प्रयासों से सरस्वती नदी में पिछले तीन साल से क़रीब 400 किलोमीटर में पानी बरसात के सीज़न में चलाया गया है जिससे पहले चरण में सरस्वती नदी को पानी बहने योग्य बनाया गया और अब इस चरण में 12 महीने पानी के प्रयास के लिए और सतलुज के पानी जो हिमाचल के कैच मेंट एरिया से होते हुए हरियाणा की शिवालिक रेंज तक आता है, उस पानी को सरस्वती बोर्ड सोलन से ऊपर चैनल बनाकर सोम नदी के माध्यम से सरस्वती में लाने की तैयारी में है।
उन्होंने बताया कि इसी प्रोजेक्ट को लेकर वह 28 अप्रैल को इसरो व रिमोट सेंसिंग के अधिकारियों से जयपुर बिरला रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी सेंटर में मीटिंग में करेंगे।