दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 12 अगस्त
शराब घोटाले की जांच के लिए वरिष्ठ आईएएस टीसी गुप्ता की अध्यक्षता वाली स्पेशल इंक्वायरी टीम (एसईटी) अगर डिस्टलरी में विजिट करने के प्रति गंभीर होती तो उसके सामने कोई रुकावट नहीं थी। एसईटी केवल एक्साइज कमिश्नर शेखर विद्यार्थी द्वारा विजिट करवाने से इनकार करने के बाद आगे नहीं बढ़ी। एक्साइज एक्ट में कमिश्नर के पास किसी भी व्यक्ति को डिस्टलरी की विजिट करवाने की परमिशन देने के अधिकार हैं ही नहीं।
बावजूद इसके एक्साइज कमिश्नर की ओर से एसईटी की रिपोर्ट के बाद कानूनी राय ली गई। कानूनी राय में लिखित तौर पर एसईटी को कहा गया कि एक्साइज कमिश्नर इसकी इजाजत नहीं दे सकते। राय में स्पष्ट किया गया कि एक्साइज एक्ट के सेक्शन-11 में राज्य सरकार के पास किसी भी व्यक्ति या जांच टीम एक्साइज ऑफिसर की पॉवर देने के अधिकार हैं। इन शक्तियों के तहत फिर कोई भी व्यक्ति राज्य की किसी भी डिस्टलरी में विजिट कर सकता है।
एसईटी ने इसके बाद सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) में विजिट के लिए किसी तरह का पत्राचार ही नहीं किया। इस पूरे घटनाक्रम में एक और अहम पहलू यह है कि सरकार ने एसईटी का गठन करते समय अलग-अलग क्षेत्र के तीन अधिकारियों को इसीलिए एसईटी में शामिल किया था ताकि तीनों अपनी पॉवर का इस्तेमाल कर सकें। आईएएस टीसी गुप्ता एसईटी के चीफ थे और एडीजीपी (अब डीजीपी) मोहम्मद अकील व विभाग के सीनियर मोस्ट अधिकारी एडिशनल एक्साइज कमिश्नर विजय सिंह कमेटी में बतौर सदस्य शामिल थे। एक्साइज एक्ट के हिसाब से विजय सिंह के पास डिस्टलरी में विजिट करने की शक्तियां थी। अगर एसईटी चाहती तो विजय सिंह को एनवी डिस्टलरी ही नहीं, प्रदेश की किसी भी डिस्टलरी में विजिट करवा सकती थी।
कोविड-19 के चलते पॉवर हुई शिफ्ट
शराब बिक्री बंद करने का फैसला कोविड-19 महामारी की वजह से हुआ था। ऐसे में ठेकों को बंद करने की शक्तियां स्वत: ही मुख्य सचिव व जिलों के डीसी के पास शिफ्ट हो गई। इससे पहले विभाग के मंत्री होने के नाते डिप्टी सीएम ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सभी डीईटीसी को इसके लिए आदेश भी दिए थे। बहरहाल, एसईटी की रिपोर्ट पर मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा स्टडी कर रही हैं।
एक्साइज कमिश्नर के पास नहीं थी पॉवर
कैबिनेट की बैठक में 25 मार्च की रात 12 बजे से शराब के ठेके बंद करने का फैसला लेने के बाद एक्साइज कमिश्नर द्वारा ठेके बंद करने के लिखित में आर्डर देने की पॉवर भी विद्यार्थी के पास नहीं थी। एक्साइज एक्ट के अनुसार, कमिश्नर के पास ठेकों को सस्पेंड, सरेंडर या लाइसेंस कैंसल करने के अधिकार तो हैं, लेकिन बंद करने के अधिकार सेक्शन-54 में डीसी के पास हैं। कैबिनेट की बैठक के अगले ही दिन यानी 26 अगस्त को प्रदेश के अधिकांश जिलों के डीईटीसी ने ठेके बंद करने की लिखित में रिपोर्ट विभाग तक भेजी।
”एसईटी की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करने के लिए मुख्यमंत्री को लिखा जा चुका है। आईएएस शेखर विद्यार्थी व आईपीएस प्रतीक्षा गोदारा के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। साथ ही, पूरे मामले की विस्तृत जांच स्टेट विजिलेंस ब्यूरो से करवाने का फैसला लिया है। अब इस पर मुख्यमंत्री फैसला करेंगे। ”
-अनिल विज, गृह मंत्री
”मुझे किसी भी जांच से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ कार्रवाई का मैंने विरोध किया है। शेखर विद्यार्थी ने एक्साइज एक्ट के अनुसार काम किया और फैसला लिया। ठेकों को बंद करने के आदेश मैंने खुद दिए थे। इतना ही नहीं, अगले ही दिन सभी डीईटीसी से कम्पलाइंस रिपोर्ट भी आ गई।”
-दुष्यंत सिंह चौटाला, डिप्टी सीएम