करनाल (हप्र) : बाॅन्ड पॉलिसी के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे एमबीबीएस छात्रों के समर्थन में अब रेजिडेंट डाक्टर भी आ गये हैं। रेजिडेंट डाक्टरों ने बृहस्पतिवार को कल्पना चावला मेडिकल कालेज में ओपीडी सेवाएं बंद रखकर प्रदर्शनकारी छात्रों का समर्थन किया और ऐलान किया कि जब तक एमबीबीएस छात्रों की मांग नहीं मानी जाती, तक तक ओपीडी सेवाएं बंद रहेंगी। उन्होंने कहा कि सरकार छात्रों की सुनवाई नहीं कर रही, इसलिये उन्हें छात्रों के समर्थन में आना पड़ा है। इस दौरान एमबीबीएस छात्रों ने नुक्कड़ नाटक करके सरकार पर निशाना साधा। छात्रों ने कहा कि उनके प्रदर्शन के साथ अब सभी छात्रों के परिजन भी अपने-अपने इलाकों में विधायकों व सांसदों के घरों का घेराव करके सरकार तक उनकी मांग पहुंचाएंगे। छात्रों ने कहा कि 4 साल के कोर्स में उन्हें 40 लाख रुपए की फीस जमा करानी होगी। आर्थिक रूप से कमजोर छात्र अब कोर्स नहीं कर पाएंगे। बांड नीति को लेकर छात्रों में रोष है। छात्राओं ने सरकार से मांग की है कि नीति को वापस लिया जाए। गौर हो कि बुधवार रात को कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने सरकार की नई बाॅन्ड नीति के विरोध में हाथों में मोबाइल की टॉर्च जलाकर प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि संजय बठला के आवास का घेराव किया। संजय बठला ने छात्रों से ज्ञापन लेकर उनकी मांगों को सरकार के समक्ष रखने और उनकी मुलाकात सीएम से कराने का आश्वासन दिया।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।