चंडीगढ़, 24 सितंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा राज्य बाल संरक्षण अधिकार आयोग ने नई शुरुआत की है। देशभर में यह पहला आयोग है, जिसने श्रवण दिव्यांगों के साथ शोषण से जुड़े मामलों में उनकी पीड़ा सुनने-समझने को तंत्र विकसित किया है। श्रवण दिव्यांग सांकेतिक भाषा में जेजे व पोक्सो एक्ट से जुड़े अधिकारियों एवं कानून के बारे में जागरूक हो सकेंगे। आयोग ने जेजे व पोक्सो एक्ट के वीडियो मॉड्यूल सांकेतिक भाषा में तैयार किए हैं।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी सांकेतिक भाषा को विशेष महत्व दिए जाने की वकालत की है। दोनों एक्ट के वीडियो मॉड्यूल बृहस्पतिवार को सीएम मनोहर लाल खट्टर ने लाॅन्च किए। आयोग चेयरपर्सन ज्योति बैंदा ने लैपटॉप पर इन मॉड्यूल की ई-लाॅन्चिंग सीएम से करवाई। इस दौरान सीएम ने कहा कि आयोग का सांकेतिक भाषा को प्रमोट करने के साथ-साथ श्रवण दिव्यांगों को बाल संरक्षण कानून जेजे एक्ट व पोक्सो एक्ट के बारे में जागरूक करने का यह अच्छा कदम है।
उन्होंने कहा कि इन मॉड्यूल के माध्यम से सभी श्रवण दिव्यांगों को कानून व अपने अधिकारों को समझने में आसानी होगी। केंद्र सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति में पूरे भारत में एक सांकेतिक भाषा लागू करना ऐतिहासिक निर्णय है। एक सांकेतिक भाषा होने से जहां श्रवण दिव्यांगों को कम्युनिकेशन करने में आसानी होगी वहीं राष्ट्रीय स्तर पर उनकी कामयाबी का रास्ता भी खुलेगा। सीएम ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार ना सिर्फ दिव्यांग बल्कि हर आम नागरिक के उत्थान के लिए कार्य कर रही है। इससे पहले भी दिव्यांगजनों के लिए कई कार्य किए गए हैं। देखभाल व संरक्षण की आवश्यकता वाले तथा किसी भी प्रकार से एबल्ड बच्चे जो बाल आश्रम में रह रहे हैं, उनके लिए भी सरकार विशेष पॉलिसी बनाएगी ताकि उन्हें पढ़ने-लिखने सहित विभिन्न कार्यों में किसी प्रकार की परेशानी न हो। सीएम ने कहा कि किसी भी प्रकार से एबल्ड बच्चे जिस भी क्षेत्र में पढ़ाई करना चाहते हैं, सरकार उनके एडमिशन की व्यवस्था की दिशा में काम कर रही है।
सुरेश अंगड़ी का निधन भाजपा के लिए अपूरणीय क्षति : सीएम
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने केंद्रीय रेल राज्यमंत्री सुरेश अंगड़ी के निधन पर शोक व्यक्त किया है, उनके अनुसार यह भाजपा के लिए अपूरणीय क्षति है। अंगड़ी 65 वर्ष के थे तथा 11 सितंबर को कोरोना संक्रमित होने के कारण नई दिल्ली के एम्स के कोविड-19 ट्रामा सेंटर में भर्ती थे।
नई शिक्षा नीति में एक सांकेतिक भाषा सराहनीय कदम
चेयरपर्सन ज्योति बैंदा ने कहा कि एक स्टडी के अनुसार, विश्वभर में 72 मिलियन लोग दिव्यांग हैं। इनमें से 80 फीसदी विकसित देशों में रहते हैं और ये 300 प्रकार की सांकेतिक भाषा बोलते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 1.3 मिलियन लोग ऐसे हैं, जो केवल श्रवण दिव्यांग हैं। ऐसे में सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति में पूरे भारत में एक ही सांकेतिक भाषा लागू करना सराहनीय कदम है।