इतिहास के पुनः लेखन से लौटेगा भारत का गौरव : डॉ. प्रीतम
विनोद जिन्दल/हप्र कुरुक्षेत्र, 19 अप्रैल कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पुरातात्विक भारतीय इतिहास एवं संस्कृति विभाग में दो दिवसीय सभ्यता अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित काकोरी प्रतिरोध शताब्दी वर्ष के अवसर पर दो दिवसीय बौद्धिक मंथन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर...
विनोद जिन्दल/हप्र
कुरुक्षेत्र, 19 अप्रैल
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पुरातात्विक भारतीय इतिहास एवं संस्कृति विभाग में दो दिवसीय सभ्यता अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित काकोरी प्रतिरोध शताब्दी वर्ष के अवसर पर दो दिवसीय बौद्धिक मंथन का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुवि के डॉ. बीआर अम्बेडकर अध्ययन संस्थान के निदेशक डॉ. प्रीतम ने कहा कि भारत में इतिहास पुनः लेखन की आवश्यकता ताकि भारत के अतीत के गौरव को युवा पीढ़ी से जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि सन 2047 तक भारत का स्वर्णिम इतिहास एक बार फिर से जनता के सामने होगा। इस दिशा में सभ्यता अध्ययन केंद्र सहित अनेक संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। आवश्यकता है भारत के लोगों के सामने भारतीय इतिहास को सही स्वरूप में प्रस्तुत करने की ताकि भारत के गौरवशाली इतिहास के विषय में यहां की जनता रूबरू हो सके।
कार्यक्रम में अंबेडकर विश्वविद्यालय नयी दिल्ली के एसोसिएट प्रो. डॉ आनंदवर्धन ने मुख्य वक्ता के रूप में काकोरी मिशन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर विस्तार से ऐतिहासिक अवलोकन किया। उन्होंने कहा कि काकोरी मिशन की एक अपनी पृष्ठभूमि थी, जिसमें राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, केशव चक्रवर्ती, मुकुंदी लाल, चंद्रशेखर आजाद, रामनाथ पांडे, सचिंद्रनाथ, ठाकुर रोशन सिंह, प्रेम कृष्ण खन्ना, जैसे स्वतंत्रता सेनानियों का महत्वपूर्ण योगदान है।
उन्होंने कहा कि इतिहास में बहुत सारी क्रांतिकारी वीरों की ऐसी घटनाएं हैं, जिनको अभी तक ऐतिहासिक दृष्टि से शामिल नहीं किया गया है। इस अवसर पर फिल्म निर्माता अभिजीत ने कहा कि आवश्यकता है काकोरी जैसी घटना पर फिल्मों के निर्माण की। इस मौके पर लोक संपर्क विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने कहा कि वर्तमान दौर भारत के पुनर्जागरण एवं इतिहास के पुनः लेखन का दौर है। इस मौके पर सभ्यता अध्ययन केंद्र के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि शंकर ने सभ्यता अध्ययन केंद्र की भावी योजनाओं एवं हरियाणा में इसके पुनर्गठन की संभावनाओं को अभिव्यक्त किया।
इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. वीरेंद्र पाल, पूर्व अधिष्ठाता डॉ. सीपी सिंह, कार्यक्रम के संयोजक विभाग के अध्यक्ष डॉ. भगत सिंह, गीता चेयर के अध्यक्ष डॉ. आरके देसवाल, भारतीय पुरातत्व विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. धर्मवीर शर्मा, समाज सेवक डॉ. राजकुमार, संस्कृत विद्वान डॉ. रामचंद्र सहित देश के अलग-अलग हिस्सों से पहुंचे अनेक विद्वान उपस्थित रहे।

