प्राइवेट स्कूलों से शिकायत है तो अपने बच्चे सरकारी में पढ़ाएं अभिभावक : गुप्ता
कहा-प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों का नियन्त्रण करने वाले कानून व नियमों में करना होगा संंशोधन
नरेन्द्र जेठी/निस
नरवाना, 10 अप्रैल
यदि प्रदेश सरकार चाहती है कि प्राइवेट स्कूलों में सरकारी या एनसीईआरटी की किताबें लगें या पढ़ाई जाएं, प्राइवेट स्कूल मनमानी फीस न ले सकें, प्राइवेट स्कूल किताबें व वर्दियां स्कूलों में न बेच सकें और प्राइवेट स्कूल संचालक शिक्षा को व्यापार न बना सकें तो उसे प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों का नियन्त्रण करने वाले कानून व नियमों में संंशोधन करना होगा अन्यथा स्थिति जस की तस रहेगी। हरियाणा गवर्नमेन्ट स्कूल प्रिंसिपल्स एसोसिएशन के पूर्व महासचिव रघुभूषण लाल गुप्ता ने अभिभावकों से अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलोंं के बजाय सरकारी या धर्मार्थ और समाजसेवी संस्थाओं द्वारा चलाए स्कूलों मे ही पढ़ाने वकालत की है ।
हरियाणा गवर्नमेन्ट स्कूल प्रिंसिपल्स एसोसिएशन के पूर्व महासचिव रघुभूषण लाल गुप्ता ने अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने वाले ऐसे अभिभावकों से अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने की अपील की है जो एक तरफ तो अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं और दूसरी तरफ प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूल करने, प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें लगवाने, सप्ताह में दो-दो वर्दियां लगवाने और स्कूल में किताबें और वर्दियां बेचने की शिकायत करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में बेहतर ढांचागत सुविधाओं के साथ सुशिक्षित और प्रशिक्षित अध्यापक उपलब्ध हैं। कक्षा पहली से आठवीं तक शिक्षा के साथ-साथ बस्ता, किताबें, वर्दी, जूते और दोपहर का भोजन भी स्कूल में ही नि:शुल्क उपलब्ध करवाया जाता है। कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों से छात्र निधियां के नाम पर नाममात्र राशि ली जाती है। हरियाणा स्कूल एजुकेशन रूल्ज 2003 के नियम 158 के अनुसार प्राइवेट स्कूल अपनी मर्जी के अनुसार अपनी फीस निर्धारित कर सकते हैं, उन्हें बस इतना भर करना होता है कि प्रतिवर्ष नया सत्र आरम्भ होने से पहले नये सत्र में ली जाने वाली फीस की सूचना फॉर्म नंबर 6 में भरकर विभाग को देनी होती है।

