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धर्म की रक्षा के लिए गुरु गोबिंद सिंह ने अपना पूरा वंश वार दिया : डॉ. गुरप्रीत

बाबा श्रीचंद के 531वें प्रकाशोत्सव पर समागम में पंजाब सीएम की पत्नी ने की शिरकत
पिहोवा के डेरा उदासीन ब्रह्म अखाड़ा मांडी साहिब में संत समागम में भाग लेंती पंजाब सीएम की पत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर। -निस
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डेरा उदासीन ब्रह्म अखाड़ा मांडी साहिब में गुरुनानक देव जी के सुपुत्र बाबा श्रीचंद देव के 531वें प्रकाशोत्सव पर महान संत समागम हुआ। इसमें डेरा मुखी संत बाबा गुरविंद्र सिंह के सान्निध्य में सिख पंथ की जत्थेबंदियों, रागी ढाडी जत्थों व संतों ने अपने प्रवचनों से बाबा श्रीचंद व सिखी इतिहास से संगत को रूबरू कराया। कार्यक्रम में पहुंची पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की पत्नी डॉ. गुरप्रीत कौर ने कहा कि संत बाबा गुरविंद्र सिंह ने डेरा के माध्यम से युवा पीढ़ी को नशे, दहेज, कन्या भ्रूण हत्या आदि सामाजिक बुराइयों से दूर करके धर्म से जाेड़कर लोक कल्याण का जो कार्य किया है, वह सराहनीय है।

उन्होंने कहा कि अध्यात्म व संस्कृति दोनों धाराओं की रक्षा के लिए सिख गुरुओं ने अपना जीवन लगाया। गुरु गोबिंद सिंह ने धर्म की रक्षा के लिए अपनी आंखों के सामने अपना पूरा वंश वार दिया। गुरु परंपरा के अनुसार बाबा श्रीचंद ने भी पूरे संसार में घूमकर विकारों में फंसे लोगों को सत्य की राह दिखाई। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार की ओर से हिंद की चादर गुरु तेग बहादुर साहिब जी का 350वां बलिदान दिवस पूरे देश में श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। जिसके तहत पंजाब के अलग अलग शहरों में गुरु तेग बहादुर की शहादत संबंधित लाइट एंड साउंड शो दिखाए जा रहे हैं।

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बाबा गुरविंद्र सिंह ने कहा कि जब धरती पर बाबा श्रीचंद का अवतरण हुआ तो गुरुनानक देव जी के आदेश पर ही उन्होंने सिखी परंपरा को आगे बढ़ाया। मानव सेवा के क्षेत्र में सिख धर्म ने गुरुनानक देव के दिखाए गए रास्ते पर चलकर पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि सिख धर्म की खासियत है कि जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आई तो गुरु का सिख आगे सेवा भाव में सबसे आगे खड़ा मिला। संत समागम के साथ दो दिवसीय कार्यक्रम संपन्न हुआ इस दौरान निहंग सिहों ने महंला सजाया। हाथी घोड़ों पर सवार होकर निहंग सिंह करतब दिखाते हुए मेला परिसर से गुजरे तो माहौल वाहेगुरुजी के जयकारों से गूंज उठा। इस मौके पर जत्थेदार बाबा अवतार सिंह सुर सिंह वाले, बाबा चरणजीत सिंह, भाई स्वर्ण सिंह , बाबा अमीर सिंह, इंद्रजीत सिंह नत, ढाडी जत्था दलेर कौर खालसा, भाई सर्वजोत सिंह बेदी समेत हजारों की संख्या में संगत नतमस्तक हुई।

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