कैथल की आंगनवाड़ियां बदहाल, सुविधाओं के बिना जूझ रहे नौनिहाल
ललित शर्मा/हप्र
कैथल, 4 मई
बच्चों के पोषण, देखभाल और प्रारंभिक शिक्षा के लिए सरकार द्वारा संचालित आंगनवाड़ी योजना ग्रामीण भारत की रीढ़ मानी जाती है, लेकिन कैथल में इसकी हकीकत बेहद चिंताजनक है। यहां की अधिकांश आंगनवाड़ियां खुद बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही हैं। नतीजा ये है कि जिन बच्चों की देखभाल और विकास के लिए ये केंद्र खोले गए थे, वे खुद बदहाली का शिकार हो गए।
जिले की 1 हजार आंगनवाड़ियां ऐसी हैं, जिनके पास अपनी कोई इमारत या भूमि तक नहीं है। ये केंद्र किराए के मकानों, पंचायत भवनों या स्कूलों के कमरों में संचालित किए जा रहे हैं, जहां बच्चों के खेलने, बैठने और सीखने की समुचित व्यवस्था नहीं है। कई बार तो जगह की कमी के चलते एक ही कमरे में बच्चों की कक्षाएं, खाना पकाने और दफ्तर का काम साथ-साथ चलता है। हैरान करने वाला तथ्य यह है कि 255 आंगनवाड़ियों में शौचालय तक नहीं हैं, जिससे साफ-सफाई की गंभीर समस्या खड़ी हो जाती है। छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह स्थिति बेहद असुविधाजनक, अस्वास्थ्यकर व चिंताजनक है। बिजली की स्थिति भी अच्छी नहीं है। जिले की 379 आंगनवाड़ियां अब तक बिजली कनेक्शन से वंचित हैं। गर्मियों में बच्चे तपती गर्मी में बैठने को मजबूर होते हैं और अंधेरे में न तो पढ़ाई संभव होती है और न ही किसी प्रकार की गतिविधि। ऐसे में कैथल जिले में करीब 1270 आंगवाड़ियों में आने वाले करीब 25 हजार बच्चे व गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
बिना रसोई कैसा पोषण
पोषण वितरण के लिए जरूरी रसोईघर की भी भारी कमी है। 449 आंगनवाड़ियों में खुद की रसोई तक नहीं है, जिससे भोजन की गुणवत्ता और स्वच्छता पर प्रश्नचिह्न लग जाता है। कई बार कार्यकर्ताओं को पास-पड़ोस के घरों या अस्थायी ढांचों में खाना बनाना पड़ता है। गांव बालू की करीब आधा दर्जन आंगनवाड़ियों में रसोई नहीं है। स्थानीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने बताया कि वे कई बार इन समस्याओं को लेकर उच्च अधिकारियों को अवगत करा चुकी हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। बजट की कमी और प्रशासनिक अनदेखी के कारण यह समस्या दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है।
पीओ बोलीं- सांसद जिंदल को बता चुके समस्या
आंगनवाड़ी विभाग की पीओ शशी ने कहा कि 379 आंगनवाड़ियों में बिजली कनेक्शन नहीं है। ये आंगनवाड़ियां या तो चौपालों में चल रही हैं या किराया की जगहों पर चल रही हैं। इसलिए हम वहां कनेक्शन नहीं करवा सकते। बिल्डिंग कब खाली करनी पड़ जाए। उन्होंने एक बैठक में सांसद नवीन जिंदल के आगे भी अपनी समस्याएं रखी हैं। उन्होंने रसोई, शौचालय आदि के लिए विभाग से बजट मांगा है और कुछ बजट उनके पास आया हुआ है। इस दिशा में हम काम कर रहे हैं।
''सरकार ने आंगनवाड़ी खोल जरूर दी हैं, लेकिन इसकी ओर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। बदहाली के बारे में अधिकारियों को सब कुछ मालूम है। विभाग उन्हें शहरों में आंगनवाड़ी किराये पर लेने के लिए केवल 2 हजार रुपए देता है। दो हजार रुपए में विभाग कहता है कि एक कमरा, रसोई, शौचालय, एक स्टोर आदि सब होना चाहिए। भला 2 हजार रुपए किराया में ऐसी बिल्डिंग कोई क्यों देगा। रूपा राणा ने बताया कि वे समय-समय पर बिजली, पानी, रसोई, शौचालय आदि की मांग को लेकर प्रदर्शन भी करती रहती हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।''
- रूपा राणा, राज्य प्रधान, आंगनवाड़ी वर्कर एवं हेल्पर यूनियन, कैथल।