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तिब्बतियों को आत्मनिर्णय का अधिकार : माइकल मैककॉल

धार्मिक गुरु दलाई लामा से मिला अमेरिकी सांसदों का प्रतिनिधिमंडल

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धर्मशाला में बुधवार को तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा से मुलाकात करता अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल। - प्रेट्र
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धर्मशाला/शिमला, 19 जून (एजेंसी)

अमेरिकी संसद की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष माइकल मैककॉल ने बुधवार को कहा कि तिब्बती लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार है। उन्होंने जोर देकर यह भी कहा कि उनकी (तिब्बतियों की) एक अनूठी संस्कृति और धर्म है और उन्हें अपने धर्म का स्वतंत्र रूप से पालन करने में सक्षम होना चाहिए। धर्मशाला में तिब्बतियों के धार्मिक गुरु दलाई लामा से मुलाकात करने के बाद अमेरिकी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे मैककॉल ने कई बातें साझा कीं।

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धर्मशाला स्थित केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) द्वारा आयोजित एक समारोह में मैककॉल ने कहा कि सीसीपी द्वारा हिंसा किए जाने और दलाई लामा को घर से जबरन निकाले जाने के बावजूद वह (तिब्बती धर्मगुरु) सहिष्णुता, शांति और क्षमा का उपदेश देना जारी रखे हुए हैं। मैककॉल ने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र में लोग स्वतंत्र होते हैं, जबकि वे (तिब्बती) निरंकुश शासन के तहत गुलाम हैं।

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मैककॉल ने कहा कि इस यात्रा का समय इससे बेहतर नहीं हो सकता, क्योंकि पिछले सप्ताह प्रतिनिधि सभा और अमेरिकी कांग्रेस ने ‘तिब्बत (विवाद) समाधान’ विधेयक पारित किया था, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि तिब्बत की अपनी अनूठी संस्कृति, भाषा और धर्म है तथा उसे आत्मनिर्णय का अधिकार है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इस विधयेक पर हस्ताक्षर होगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में तिब्बत के बारे में सीसीपी के दुष्प्रचार को आक्रामक रूप से चुनौती देने की भी आवश्यकता है। दलाई लामा से मिलने और चर्चा करने वाले प्रतिनिधिमंडल में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की पूर्व अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी और सांसद मैरिएनेट मिलर, ग्रेगरी मीक्स, निकोल मैलियोटाकिस, जिम मैकगवर्न और एमी बेरा शामिल थे। मैककॉल ने दलाई लामा को एक उपहार भेंट करते हुए कहा, ‘आपमें से कई लोगों की तरह, मैं भी चाहता हूं कि यह बैठक आपके गृह देश तिब्बत में हो, लेकिन 65 साल पहले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) द्वारा तिब्बत पर कब्जा किये जाने और हजारों तिब्बतियों का कत्लेआम करने के बाद आपको भागने पर मजबूर होना पड़ा था।’ मैककॉल ने कहा, ‘मुझे अब भी उम्मीद है कि एक दिन दलाई लामा और उनके लोग शांतिपूर्वक तिब्बत वापस लौटेंगे।’

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने दी थी चेतावनी

मैककॉल ने कहा, ‘हमारे प्रतिनिधिमंडल को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) से एक पत्र मिला, जिसमें हमें यहां न आने की चेतावनी दी गई थी। उन्होंने अपना झूठा दावा दोहराया कि तिब्बत 13वीं शताब्दी से चीन का हिस्सा है, लेकिन सीसीपी की चेतावनियों से प्रभावित हुए बिना हम आज यहां हैं।’ उन्होंने कहा कि दलाई लामा, तिब्बत के लोग और अमेरिका, सभी जानते हैं कि तिब्बत, चीन का हिस्सा कतई नहीं है।

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