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सिरमौर में बढ़ रहा किंग कोबरा का कुनबा!, बार-बार आ रहा नजर, वाइल्ड लाइफ के लिए शुभ, लेकिन जलवायु परिवर्तन का संकेत

संरक्षित प्रजाति का 10 फुट लंबा नाग हिमाचल में पहली बार रेस्क्यू
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रेंजर सुरेंद्र शर्मा, वन रक्षक वीरेंद्र शर्मा, विंकेश चौहान, स्नैक कैचर भूपेंद्र सिंह ने घंटों की मशक्कत के बाद सिरमौर के ब्यास गांव के एक खेत से शुक्रवार को किंग कोबरा को रेस्क्यू कर उसे जंगल में छोड़ा। -निस
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हितेश शर्मा/ निस

नाहन, 15 मार्च

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हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के ब्यास गांव में गेहूं के एक खेत से शुक्रवार को दस फुट लंबे किंग कोबरा को सुरक्षित रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ा गया। दो दिन से गांव के लोगों को खेत और आसपास के इलाकों में किंग कोबरा की उपस्थिति नजर आ रही थी। ऐसा नहीं है कि इस क्षेत्र में किंग कोबरा पहली बार देखा गया हो। इससे पहले कोलर के फांदी गांव में जून 2021 में यह सांप दिखा था और इसी क्षेत्र के प्रवीण कुमार ने कैमरे में कैद किया था। इसके बाद शिवालिक रेंज के इस क्षेत्र में कई बार किंग कोबरा की उपस्थिति सामने आ चुकी है। इतना जरूर है कि हिमाचल में किंग कोबरा को पहली बार रेस्क्यू किया गया है।

दुनिया का सबसे जहरीला सांप माना जाने वाला किंग कोबरा वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित प्रजाति में शामिल है। वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट के अनुसार, यह शर्मीला होता है और इंसानों से दूरी बनाए रखता है। गर्मियां शुरू होने से पहले और आबादी वाले क्षेत्रों में इसका दिखाई देना पर्यावरण असंतुलन और मौसम परिवर्तन की ओर इशारा कर रहा है।

जिस साइज का यह किंग कोबरा पाया गया है, उससे माना जा रहा है कि क्षेत्र में यह प्रजाति भली भांति फल-फूल रही है। एक मादा कोबरा एक बार में 21 से 40 अंडे देती है और 90 दिन तक अंडों को सेती है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि रेस्क्यू किया गया किंग कोबरा मादा थी या नर। इसके नर होने की स्थिति में इसके आसपास मादा भी हो सकती है और क्षेत्र में इस प्रजाति की संख्या भी ज्यादा हो सकती है।

हिमाचल प्रदेश फॉरेस्ट काॅर्पोरेशन के डायरेक्टर एवं वाइल्ड लाइफ एक्स्पर्ट कृष्ण कुमार ने बताया कि किंग कोबरा का बार-बार देखा जाना और पहली बार इतने विशालकाय कोबरा का रेस्क्यू होना, इस बात का संकेत है कि यहां पहले से ही इस प्रजाति की उपस्थिति है और वह फिलहाल संरक्षित हैं। अभी किंग कोबरा लोगों की नजर से दूर हैं।

किंग कोबरा की मौजूदगी को जहां अच्छा संकेत माना जा रहा है, वहीं यह कई चुनौतियों की तरफ इशारा भी है। इसकी उपस्थिति न केवल क्षेत्र, बल्कि साथ लगते सिंबलबाड़ा नेशनल पार्क की जैव विविधता में फायदेमंद साबित होगी। यह विषैले और गैर विषैले सांपों की आबादी को नियंत्रित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोबरा की बड़ी खुराक अन्य प्रजातियों के सांप होते हैं, जबकि इसका प्रिय आहार चूहे माने जाते हैं। किंग कोबरा के चलते वाइल्ड लाइफ पर्यटन की संभावनाएं भी क्षेत्र में बढ़ सकती हैं। वहीं, चुनौतियां इस लिहाज से कि इस प्रजाति को संरक्षित रखने, लोगों काे जागरूक करने और स्वास्थ्य संबंधी इंतजाम करना जरूरी हो गया है। लेकिन, कोबरा की उपस्थिति कई बार दर्ज होने के बावजूद सरकार की तरफ से इस संबंध में कोई शुरुआत नहीं की गयी। किंग कोबरा के जहर में एक वयस्क हाथी को भी चंद मिनटों में मार गिराने की क्षमता होती है। ऐसे में इस क्षेत्र की स्वास्थ्य सुविधाओं में कोबरा के डसने के इलाज के लिए उचित दवाआें व एंटी वेनम की व्यवस्था जरूरी है।

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