एक जैसे मामलों में सरकार द्वारा बार-बार अपील से हाईकोर्ट नाराज
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा एक ही तरह के मामलों में बार-बार अपील करने को खेदजनक बताया है। कोर्ट ने कहा कि इससे आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों का अनुचित उत्पीड़न तो होता ही है। साथ ही न्यायालयों पर अतिरिक्त काम का बोझ भी बढ़ता है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर व न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने नियमितीकरण से जुड़े मामले राज्य सरकार द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए उपरोक्त टिप्पणियां कीं।
अपील में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी गेजम राम जुलाई 1971 से बागवानी विभाग में दैनिक वेतनभोगी ‘बेलदार’ के रूप में कार्यरत था और वर्ष 1994 से उसने हर साल 240 दिनों के हिसाब से सेवा पूरी की। यद्यपि उसकी सेवाओं को लागू नीति के तहत 2006 में नियमित कर दिया गया था फिर भी उसने 8 साल की निरंतर सेवा पूरी करने की तिथि से नियमितीकरण की मांग की। राकेश कुमार बनाम राज्य सरकार के फैसले का हवाला देते हुए प्रार्थी ने पिछली तारीख से वर्ष 2011 में एक रिट दायर की जिसका निपटारा उसके मामले पर विचार करने के निर्देश के साथ राज्य सरकार को भेजा गया। बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने राकेश कुमार मामले में दिए गए फैसले को बरकरार रखा और 2015 में राज्य की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) को खारिज कर दिया। इसके बावजूद विभाग ने प्रार्थी के दावे को खारिज कर दिया और विभाग में वर्क चार्ज स्टेटस की व्यवस्था न होने का हवाला दिया।