कटान पर रोक लगवाने सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार
प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के गले की फांस बन चुकी वन भूमि से अवैध कब्जे हटाने की मुहिम को रुकवाने अब सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर चल रहे इस अभियान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का सरकार ने मन बना लिया है। बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में हुई हाई पावर कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया। साथ ही एफसीए एक्ट 1980 में राहत देने की मांग को लेकर भी सरकार गोदावर्मन केस में याचिका दायर करने जा रही है ताकि इसकी तर्ज पर हिमाचल को कुछ राहत मिल सके। बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने शनिवार को शिमला में पत्रकारों से बातचीत में
कहा कि बरसात के समय सेब
के पेड़ों के कटान पर सरकार चिंतित है। कटान से बागवानों को नुकसान हो रहा है। सेब का पेड़ काटने के बाद उसे कहां नष्ट करना है यह भी समस्या है।
नेगी ने कहा कि सरकार अवैध कब्जों को हटाने के खिलाफ नहीं है लेकिन भारी बारिश और सेब सीजन के दौरान पेड़ कटान ठीक नहीं है। इससे पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है। इसलिए सरकार हाई कोर्ट के पेड़ काटने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा रही है। इसको लेकर एडवोकेट जनरल को भी आदेश दिए गए हैं।
जगत सिंह नेगी ने कहा कि हिमाचल सरकार एफसीए एक्ट 1980 में भी संशोधन की केंद्र सरकार से मांग कर रही है। अब सरकार इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में गोदावर्मन केस में याचिका दायर कर रही है जिसमें हिमाचल को भी राहत की मांग की जाएगी। राजस्व एवं बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने प्रदेश के उन भूमिहीनों, जो वन भूमि पर जीवन निर्वाह कर रहे हैं, उन लोगों से वन अधिकार कानून, 2006 के तहत लाभ लेने की अपील की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के हजारों लोग अपने पारंपरिक अधिकारों को वैध कर सकते हैं, लेकिन लोग इस कानून के प्रति जागरूक नहीं हैं और इसके लिए आवेदन नहीं कर रहे हैं।
केंद्र आपदा राहत में मदद को लेकर कर रही भेदभाव : नेगी
जगत सिंह नेगी ने केंद्र सरकार पर आपदा राहत में मदद को लेकर हिमाचल के साथ भेदभाव के आरोप भी लगाए और कहा कि 2023 की आपदा के लिए स्वीकृत 1500 करोड़ की राहत राशि अभी तक पूरी नहीं मिली है। जो राशि मिली है उसमें भी केंद्र सरकार ने शर्त रखी है कि पहले राज्य को 500 करोड़ खर्च करने होंगे, तभी केंद्र शेष राशि जारी करेगा। नेगी ने कहा कि इस तरह की शर्तें गलत है। उन्होंने कहा कि आपदा राहत राशि को प्रदेश सरकार के हवाले कर देना चाहिए क्योंकि लोगों को राहत राशि बांटने की जमीनी जानकारी प्रदेश सरकार को अधिक है न कि केंद्र सरकार को।