
शिमला , 26 मई(निस)
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए प्रदेश के 10 वन मंडलों में सरकारी वन भूमि पर खैर के पेड़ों के कटान की अनुमति प्रदान की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने इस मामले की पुरजोर वकालत की थी जिसके फलस्वरूप शीर्ष अदालत ने राज्य के वन विभाग के पक्ष में अपना निर्णय सुनाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों को खैर के पेड़ के दस वर्ष में कटान के कार्यक्रम से छूट देना चाहती है ताकि वे अपनी सुविधानुसार कटान कर सके। इससे उनकी आर्थिकी को संबल मिलेगा। उन्होंने कब कि प्रदेश के ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, नालागढ़ और कुटलैहड़ वन मंडलों में खैर के पेड़ों के कटान के लिए कार्य योजना तैयार कर ली गई है और इन वन मंडलों में प्रति वर्ष 16500 वृक्षों का कटान निर्धारित किया गया हैं।
किसानों की आय में होगी बढ़ोतरी : सीएम
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के निचले क्षेत्रों में खैर के पेड़ों को व्यावसायिक रूप से उत्पादित करने से राज्य के राजस्व में तथा किसानों की आय में वृद्वि होगी। प्रदेश के नाहन, पावंटा साहिब, धर्मशाला, नूरपुर और देहरा वन मंडलों के लिए शीघ्र ही कार्य योजना तैयार की जाएगी। इसके दृष्टिगत अधिकारी वनों का निरीक्षण शुरू करेंगे और इन वन मंडलों के लिए कार्य योजना तैयार करने के लिए खैर के पेड़ों की गणना की जाएगी। खैर के पेड़ का उपयोग इसके औषधीय गुणों के कारण बहुतायत किया जाता है। इस पेड़ की छाल, पत्ते, जड़ और बीज में औषधीय गुण पाए जाते हैं। जलन को कम करने के लिए इसकी छाल का उपयोग किया जाता है। इस पेड़ को कत्थे का पेड़ भी कहा जाता है। कत्था पाचन में सहायक होता है। खैर से निकलने वाले गोंद का उपयोग दवा बनाने में किया जाता है।
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