ज्ञान ठाकुर/हप्र
शिमला, 30 सितंबर
हिमाचल प्रदेश में हाल ही में भारी बारिश के कारण आई प्राकृतिक आपदा से प्रभावित परिवारों के पुनरुत्थान और पुनर्वास के लिए राज्य की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने 3500 करोड़ रुपये के विशेष राहत पैकेज की घोषणा की है। प्रभावितों की मदद के लिए सरकार ने मुआवजा राशि में 25 गुणा तक की बढ़ोतरी की है। आपदा से निपटने के लिए राज्य सरकार कुल मिलाकर 4500 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। इसमें से 1000 करोड़ रुपये मनरेगा के तहत व्यय किये जायेंगे। विशेष राहत पैकेज 7 जुलाई से 30 सितंबर तक की अवधि के लिए है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शनिवार को शिमला में एक पत्रकार वार्ता में विशेष राहत पैकेज की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी तरह से क्षतिग्रस्त मकान के लिए मिलने वाले 1.30 लाख रुपये के मुआवजे को साढ़े पांच गुणा बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया गया है। राज्य में आपदा के कारण 3500 घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं। कच्चे घर को आंशिक नुकसान पर प्रदत्त 4000 रुपये मुआवजे को 25 गुणा बढ़ाकर एक लाख रुपये, जबकि पक्के घर को आंशिक नुकसान पर मिलने वाली 6500 रुपये की धनराशि को साढ़े 15 गुणा बढ़ाकर एक लाख रुपये किया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य में 6930 कच्चे घरों तथा 5549 पक्के घरों को आंशिक नुकसान हुआ है। राज्य में घरों को हुए नुकसान पर ही इस राहत पैकेज के तहत सरकार 750 करोड़ रुपए प्रदेश के लोगों में बांटेगी।
राहत पैकेज में दुकान या ढाबे को नुकसान होने पर मिलने वाले 25000 रुपये के मुआवजे को चार गुणा बढ़ाकर एक लाख रुपये किया गया है। गौशाला को नुकसान पर 3000 रुपये के स्थान पर राज्य सरकार 50 हजार रुपये आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। राज्य में 670 दुकानें, ढाबे और 8300 गौशालाएं क्षतिग्रस्त हुई हैं।
फसल के नुकसान पर प्रति बीघा 4000 रुपये मुआवजा
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि एवं बागवानी योग्य भूमि को नुकसान पर पूर्व में प्रदत्त 3615 रुपये प्रति बीघा मुआवजे को बढ़ाकर 10 हजार रुपये किया गया है। फसल के नुकसान पर मिलने वाले 500 रुपये प्रति बीघा मुआवजे को आठ गुणा बढ़ाकर 4000 रुपये कर दिया गया है। कृषि व बागवानी भूमि से सिल्ट निकालने के लिए आर्थिक सहायता 1384 रुपये प्रति बीघा सेे बढ़ाकर 5000 रुपये की गई है। सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि आपदा से पूरी तरह क्षतिग्रस्त मकानों के पुनर्निर्माण के लिए राज्य सरकार शहरी क्षेत्रों में दो बिस्वा, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में तीन बिस्वा भूमि प्रदान करेगी। विशेष पैकेज के तहत इसमें ऐसे परिवार पात्र होंगे जिनकी अपनी रहने योग्य भूमि नहीं बची है तथा इसमें आय की कोई सीमा नहीं होगी। जो भूमिहीन व्यक्ति लम्बे समय से प्रदेश में रह रहे हैं तथा जिनकी हिमाचल में रहने की स्थायी इच्छा है और आपदा से प्रभावित हुए हैं, उन्हें भी इस पैकेज के तहत भूमि दी जाएगी।
तबाही मचाने के बाद मानसून की वापसी शुरू
हिमाचल प्रदेश के इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी तबाही मचाने के बाद मानसून की शनिवार को राज्य से विदाई शुरू हो गयी। मानसून ने 24 जून को हिमाचल में प्रवेश किया था और इस दौरान सामान्य से 20 फीसदी अधिक बारिश के साथ राज्य से लौटना शुरू हो गया। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के विशेषज्ञ संदीप शर्मा के अनुसार, शनिवार को कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, सोलन और सिरमौर जिलों के निचले इलाकों से मानसून वापस जाना शुरू हो गया है। अगले दो दिन में पूरे राज्य से इसके लौटने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में 1 जून से 30 सितंबर तक मानसून सीजन के दौरान सामान्य बारिश 734.4 मिमी के मुकाबले 884.8 मिमी बारिश हुई है।