शिमला, 1 अक्तूबर (निस)
देश की मिनी रत्न कम्पनियों में से एक सतलुज जलविद्युत निगम स्थानीय लोगों की सहमति के बिना कोई भी पनविद्युत परियोजना नहीं लगाएगा। ये घोषणा निगम के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक नंद लाल शर्मा ने आज शिमला में एक पत्रकार वार्ता में दी। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों और स्टेक होल्डर्स की सहमति के बाद ही निगम पॉवर प्रोजेक्टों पर कार्य आरंभ करेगा। अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक ने कहा कि विद्युत परियोजनाओं से प्रभावित होने वाले लोग परियोजना का विरोध नहीं करते बल्कि ऐसे लोग विरोध करते हैं जिनका दूर-दूर से परियोजना से कोई वास्ता नहीं होता। उन्होंने खासकर पनविद्युत परियोजनाओं के विरोध के लिए कुछ बड़ी अंतराष्ट्रीय व राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी कंपनियों को भी जिम्मेवार ठहराया और कहा कि विकास को रोकने के मकसद से कुछ लोग परियोजनाओं का विरोध करते हैं। नंदलाल शर्मा ने इस मौके पर हिमाचल में ऊर्जा के क्षेत्र 23000 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा भी की। नंदलाल शर्मा ने कहा कि सिर्फ यह कहना गलत है कि जहां पॉवर प्रोजेक्ट लग रहे हैं वहीं भूस्खलन हो रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे स्थानों पर भी भूस्खलन की व्यापक घटनाएं सामने आई हैं जहां पॉवर प्रोजेक्ट नहीं लगे हैं। ऐसे में भूस्खलन की घटनाओं के लिए विकास के अन्य कार्य भी जिम्मेवार हैं। नंदलाल शर्मा ने कहा कि निगम की ओर से प्रस्तावित 20 हजार करोड़ रुपए के निवेश से न सिर्फ प्रदेश में रोजगार के अवसर सृजित होंगे बल्कि पॉवर प्रोजेक्टों की स्थापना से प्रदेश को 12 फीसदी मुफ्त बिजली भी मिलेगी। नंदलाल शर्मा ने कहा कि निगम ने धौलासिद्ध व लूहरी पॉवर प्रोजेक्टों का निर्माण कार्य आरंभ कर दिया है। इन दोनों प्रोजेक्टों को समय से पहले स्थापित करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। 2025-26 में दोनों प्रोजेक्टों में बिजली उत्पादन आरंभ होगा। निगम ने सरकार के साथ छह पावर प्रोजेक्टों को लेकर एमओयू किए थे। इनमें से दो पर कार्य आरंभ हो चुका है। चिनाब बेसिन के प्रोजेक्टों का काम आरंभ करने की तैयारी है। जंगी थोपन पावर प्रोजेक्ट का कार्य भी जल्द आरंभ होगा। साथ ही सुन्नी डैम पावर प्रोजेक्ट का कार्य भी आगामी साल तक आरंभ होने की उम्मीद है।
हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का जीवन 100 साल
नंदलाल शर्मा ने कहा कि हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का जीवन 100 साल होता है। एक मेगावाट के प्रोजेक्ट में औसतन दस लोगों को रोजगार मिलता है। हिमाचल में 200 मेगावाट के प्रोजेक्टों में 2 हजार को रोजगार मिलेगा। सौर ऊर्जा प्रोजेक्टों में रोजगार की संभावना कम होती है। नंद लाल शर्मा ने कहा कि काजा में सौर ऊर्जा संयंत्र की डीपीआर बनाने का कार्य आरंभ हो गया है। डीपीआर जल्द बन कर तैयार होगी। प्रोजेक्ट में पैदा होने वाली बिजली की निकासी के लिए ट्रांसमिशन लाइन बिछाने का कार्य केंद्र सरकार की पावर ग्रिड अथवा हिमाचल ट्रांसमिशन निगम को करना है।
नेपाल व भूटान के साथ 7 राज्यों में प्रोजेक्ट
सतलुज जलविद्युत निगम के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक नंद लाल शर्मा ने आज शिमला में कहा कि आगामी 9 सालों में निगम देश में ऊर्जा क्षेत्र में 75 हजार करोड़ का निवेश करेगा। ऊर्जा क्षेत्र में निवेश बढ़ने से रोजगार के अवसर सृजित होंगे। देश के औद्योगिक विकास को आसानी से बिजली उपलब्ध हो सकेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ग्रीन एनर्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के विजन को आगे बढ़ाते हुए निगम ने 2040 तक ऊर्जा उत्पादन के 25 हजार मेगावाट के लक्ष्य में 15 हजार मेगावाट ग्रीन एनर्जी को शामिल किया है। उन्होंने कहा कि निगम के देश के 7 राज्यों के साथ नेपाल व भूटान में पावर प्रोजेक्ट निर्माण का कार्य अपने हाथों में लिया है। नेपाल के अरुण पावर प्रोजेक्ट 2023 में उत्पादन में आएगा। इस प्रोजेक्ट में निगम 7 हजार करोड़ निवेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि 2023-24 तक निगम का 5 हजार मेगावाट ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य है। इसमें से 1500 मेगावाट ग्रीन एनर्जी होगी।