शिमला, 23 सितंबर(हप्र)
हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार द्वारा स्टांप डयूटी बढ़ाये जाने के विरोध में आज विपक्षी दल भाजपा ने विधानसभा से वाकआउट किया। हालांकि स्टाम्प ड्यूटी बढ़ाये जाने के बावजूद इसमें महिलाओं को राहत दी गई है और उन्हें 80 लाख तक की संपत्ति की रजिस्ट्री पर केवल 4 फीसदी स्टाम्प ड्यूटी देनी होगी। इससे अधिक राशि की संपत्ति खरीदने पर महिलाओं को भी 8 प्रतिशत की दर से स्टाम्प ड्यूटी देनी होगी। पुरुषों के लिए 50 लाख से अधिक की संपत्ति खरीदने पर 8 फीसद की दर से स्टाम्प ड्यूटी लगेगी। स्टाम्प डयूटी के नए सिरे से निर्धारण को लेकर प्रदेश सरकार ने विधानसभा में संशोधन विधेयक को विपक्ष के विरोध के बावजूद पारित कर दिया। एक्ट में संशोधन को लेकर विपक्ष ने सरकार को सुझाव दिया था जिसे मानते हुए सरकार ने महिलाओं को संपत्ति की रजिस्ट्री पर 50 लाख रुपए की लिमिट को बढ़ाकर 80 लाख रुपए कर दिया। यानी 80 लाख रुपए तक की संपत्ति की रजिस्ट्री यदि महिला के नाम पर होगी तो उसे 4 फीसदी रजिस्ट्री फीस देनी होगी।
सदन में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कल हिमाचल प्रदेश संशोधन विधेयक पेश किया था। इसका विपक्ष ने विरोध किया और कहा कि यह आम जनता पर बहुत ज्यादा आर्थिक बोझ डालने की कोशिश है। मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने इसमें कुछ संशोधन की बात कही जिस पर बिल को भोजनावकाश के बाद तक के लिए स्थगित कर दिया गया। इसके बाद सदन में बिल को पारित करने के मुद्दे पर तनातनी हो गई और विपक्ष ने सदन में हंगामा किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुझाव भी भाजपा ने दिया था जिसे सरकार ने मान लिया और अब वह सदन से भाग भी गए। वाकआउट के बाद विपक्ष वापस सदन में लौट आया।
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश पर 75 हजार करोड़ का कर्ज है। उन्होंने कहा कि सरकार को संसाधन जुटाने जरूरी हैं, कब तक उधार लेकर चलेंगे। प्रदेश सरकार ने पड़ोसी राज्य हरियाणा के बराबर यह फीस रखी है। मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने भी इस मामले में कहा कि पिछले 10 महीने में सरकार के सामने ऐसे मामले आए हैं जिनमें जमीन की बिक्री पावर ऑफ अटाॅर्नी के आधार पर हो रही है। ऐसे मामलों को भी रोकना जरूरी है।
भू-राजस्व संशोधन विधेयक पारित
विधानसभा में शनिवार को विपक्ष के विरोध के बीच हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व संशोधन विधेयक पारित हो गया। इस विधेयक के पारित हो जाने से अब राजस्व अधिकारियों को एक निर्धारित समय अवधि के भीतर लोगों के कार्यों को निपटाना होगा। ऐसा नहीं करने वाले राजस्व अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई होगी। इसमें संबंधित राजस्व अधिकारी की सीआर में नकारात्मक टिप्पणी भी शामिल है। विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश के राजस्व मामलों की भारी लंबित संख्या पर गहन विचार-विमर्श के बाद सरकार ने इन मामलों के निपटारे में तेजी लाने के लिए ये संशोधन करने का निर्णय लिया है। इसी मुद्दे पर सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार एक साल तक कानून में किए गए संशोधन के परिणाम देखेगी और यदि जरूरी हुआ तो इसमें भविष्य में और भी संशोधन किया जाएगा।