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मंत्री यादविंदर गोमा प्रथम दृष्टया न्याय प्रणाली में हस्तक्षेप व अवमानना के दोषी

हिमाचल हाई कोर्ट ने मंत्री को जनहित याचिका में प्रतिवादी बनाने के दिए आदेश

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शिमला, 11 अप्रैल (हप्र)

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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सुक्खू सरकार में मंत्री यादविंदर गोमा को प्रथम दृष्टया न्याय प्रदान प्रणाली में हस्तक्षेप का दोषी मानते हुए जनहित याचिका में प्रतिवादी बनाने के आदेश जारी किए हैं। यादविंदर गोमा हिमाचल प्रदेश सरकार में आयुष, विधि एवं कानूनी, युवा सेवा एवं खेल मंत्री हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने यादवेंद्र गोमा को प्रथम दृष्टया अवमानना का दोषी भी पाया है परंतु उन्हें इस बाबत महाधिवक्ता के आग्रह पर नोटिस जारी नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा कि महाधिवक्ता की जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए, अदालत उनके अनुरोध को स्वीकार करती है और जोड़े गए प्रतिवादी को अवमानना का नोटिस जारी करने को स्थगित करते हैं।

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कोर्ट ने मंत्री यादविंदर गोमा को जयसिंहपुर जिला कांगड़ा में कोर्ट कॉम्प्लेक्स के निर्माण को लेकर दायर जनहित याचिका के अन्य पहलुओं पर हलफनामे के माध्यम से अपना जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने जयसिंहपुर में राजस्व अधिकारियों के लाभ के लिए होने वाले किसी भी रूप में सभी निर्माणों पर रोक लगाने के आदेश भी जारी किए और उपायुक्त कांगड़ा को संबंधित एसडीएम के माध्यम से उक्त पहलू के संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है कि उनके द्वारा कोई निर्माण नहीं किया जा रहा है।

मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मंत्री को अवमानना नोटिस जारी करने के आदेश जारी कर दिए थे परंतु आदेश पर हस्ताक्षर किए जाने से पहले, महाधिवक्ता ने अनुरोध किया कि इस मामले को उनके स्तर पर सुलझाया जाएगा और प्रार्थना की कि नए जोड़े गए प्रतिवादी को अवमानना का नोटिस जारी न किया जाए। महाधिवक्ता की जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने उनके अनुरोध को स्वीकार किया और उक्त नए जोड़े गए प्रतिवादी को अवमानना का नोटिस जारी करने को स्थगित कर दिया।

यह है मामला

याचिकाकर्ता बार एसोसिएशन जयसिंहपुर ने अंतरिम आदेश के लिए आवेदन दायर कर कहा था कि उक्त क्षेत्र में नायब तहसीलदार के आवास को ध्वस्त कर दिया गया है और स्थानीय विधायक, जो हिमाचल प्रदेश सरकार के आयुष, विधि एवं कानूनी, युवा सेवा एवं खेल मंत्री हैं, ने राजस्व विभाग के लिए आवासीय भवनों के निर्माण के उद्देश्य से 15 मार्च 2025 को आधारशिला रखी है। कोर्ट ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि मामला 29 अक्तूबा 2024 से इस न्यायालय के समक्ष लंबित है और आवासीय परिसर के लिए निर्माण शुरू करने और आधारशिला रखने के प्रयास प्रथम दृष्टया न्याय प्रदान प्रणाली में हस्तक्षेप करने के समान हैं।

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