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Himachal News नरवाणा पैराग्लाइडिंग साइट पर थमीं उड़ानें, सेना का NOC देने से इनकार

स्थानीय पैराग्लाइडरों पर बल्कि राज्य के पर्यटन उद्योग पर भी पड़ेगा असर

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हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की प्रसिद्ध नरवाणा पैराग्लाइडिंग साइट, जहां कभी रंग-बिरंगे पैराग्लाइडर आसमान में तैरते नजर आते थे, अब सन्नाटा पसरा है। स्थानीय सेना इकाई ने इस क्षेत्र के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करने से इनकार कर दिया है। इसके बाद जिला प्रशासन ने सभी पैराग्लाइडिंग गतिविधियां तत्काल प्रभाव से बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं।

तीन साल से अस्थायी एनओसी पर चल रही थी उड़ानें

जिला पर्यटन विकास अधिकारी विनय धीमान के अनुसार, नरवाणा साइट पर पिछले तीन वर्षों से सेना की अस्थायी एनओसी पर पैराग्लाइडिंग हो रही थी। इस बार स्थायी अनुमति मिलने की उम्मीद थी, लेकिन सेना ने इसे ‘रेड जोन’ घोषित कर दिया। सुरक्षा एजेंसियों ने स्पष्ट किया कि इस क्षेत्र में उड़ान भरना अब संवेदनशील गतिविधि की श्रेणी में आता है।

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धीमान ने बताया कि हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ चले ‘ऑपरेशन संधूर’ के बाद सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा मानक और सख्त किए गए हैं। इसी के चलते सेना ने किसी भी जोखिम से बचने के लिए नरवाणा में उड़ानों को मंजूरी देने से इनकार कर दिया।

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अंतरराष्ट्रीय आयोजनों पर पड़ा असर

सेना के इस निर्णय का असर न केवल स्थानीय पैराग्लाइडरों पर बल्कि राज्य के पर्यटन उद्योग पर भी पड़ा है। नरवाणा साइट पिछले कुछ वर्षों में पैराग्लाइडिंग एक्युरेसी वर्ल्ड कप जैसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की मेजबानी कर चुकी है। देश-विदेश से खिलाड़ी यहां अभ्यास और प्रतियोगिता के लिए पहुंचते थे। अब यह सब अनिश्चित काल के लिए रुक गया है।

पर्यटन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, कांगड़ा जिले की चार प्रमुख पैराग्लाइडिंग साइटों  इंद्रुनाग, नरवाणा, बिल पट्टियान और बीर बिलिंग  में अब केवल तीन ही सक्रिय रहेंगी। बीर बिलिंग पहले से ही विश्व प्रसिद्ध साइट है, जबकि नरवाणा उभरते खिलाड़ियों के लिए सुरक्षित और किफायती विकल्प मानी जाती थी।

स्थानीय कारोबारियों को झटका

नरवाणा में उड़ानें रुकने से स्थानीय कारोबारियों और प्रशिक्षकों की आजीविका पर भी असर पड़ा है। पैराग्लाइडिंग से जुड़ी दुकानों, प्रशिक्षण केंद्रों और पर्यटक गाइडों को अब घाटा झेलना पड़ सकता है। स्थानीय उद्यमियों का कहना है कि राज्य सरकार को वैकल्पिक स्थल तलाशने या इस निर्णय पर पुनर्विचार के लिए केंद्र और सेना से बातचीत करनी चाहिए।

पर्यटन क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने कहा कि हिमाचल में एडवेंचर टूरिज्म का भविष्य संतुलित सुरक्षा नीतियों पर निर्भर करता है। यदि ऐसी प्रमुख साइटें सुरक्षा कारणों से बंद होती रहीं, तो राज्य की आय और पर्यटन प्रतिष्ठा दोनों प्रभावित होंगी।

राज्य सरकार स्थिति पर नजर रखे हुए

सूत्रों के अनुसार, जिला प्रशासन ने सेना से इस मामले में औपचारिक स्पष्टीकरण मांगा है और पर्यटन विभाग ने राज्य सरकार को विस्तृत रिपोर्ट भेजी है। सरकार अब इस स्थिति पर वैकल्पिक उपायों पर विचार कर रही है, ताकि एडवेंचर टूरिज्म को झटका न लगे।

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