शिमला, 10 फरवरी (निस)
हिमाचल प्रदेश पुलिस को उद्योगपतियों से जबरन वसूली के एक रैकेट में बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। प्रदेश पुलिस की एसआईटी ने इस मामले में हरियाणा पुलिस के दो कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है और आने वाले दिनों में इस मामले में कई और गिरफ्तारियों की संभावना है क्योंकि इस मामले में कर्मचारियों के साथ-साथ हरियाणा पुलिस के कुछ बड़े पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत के भी एसआईटी को सबूत मिले हैं। प्रदेश पुलिस ने उद्योगपतियों से इस अवैध वसूली के मामले में जिन दो वर्दीधारी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया है उनमें सोनीपत के बड़े पुलिस अधिकारी का पीएसओ सिपाही रविंद्र और जगाधरी में जेल वार्डन जसवीर शामिल है। हालांकि हिमाचल प्रदेश पुलिस की एसआईटी ने फिलहाल अवैध वसूली के इस मामले में शामिल उच्च पुलिस अधिकारियों के नामों को सार्वजनिक नहीं किया है। अवैध वसूली का ये धंधा हिमाचल के औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब, बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़ और अन्य क्षेत्रों में चल रहा था। हिमाचल पुलिस की एसआईटी की जांच में पता चला है कि फर्जी आई.जी विनय अग्रवाल हरियाणा के एक पुलिस अधिकारी के पीएसओ रविंद्र के साथ हिमाचल प्रदेश औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योगपतियों से अवैध वसूली के लिए जाता था।
विनय अग्रवाल जब धन उगाही के लिए औद्योगिक क्षेत्रों के दौरे पर जाता था तो हरियाणा पुलिस के 2 वर्दीधारी सिपाही रविंद्र और जेल वार्डन जसवीर हथियारों के साथ उसके साथ जाते थे। अब तक की एस.आई.टी जांच में हर स्तर पर एक गिरोह द्वारा धन उगाही और हरियाणा के कुछ अधिकारी की संलिप्ता का खुलासा हुआ है। सूत्रों के अनुसार एस.आई.टी. का शिंकजा कसते देख गिरोह से जुड़े कुछ लोग भूमिगत हो गए हैं। ऐसे में उनकी धरपकड़ को लेकर दबिशों का दौर जारी है। डीजीपी संजय कुंडू ने कहा है कि इस सारे मामले में जो भी उद्योगपति अवैध वसूली के इस गिरोह का शिकार हुए हैं वह बेखौफ होकर सामने आएं ताकि उन्हें हुए नुकसान की कानूनी तौर पर भरपाई हो सके। संजय कुंडू ने कहा कि उद्योगपति उनसे सीधा संपर्क कर सकते हैं और एसआईटी से भी संपर्क कर सकते हैं।
9 दिनं के रिमांड पर भेजे दोनों आरोपी
इस मामले में गिरफ्तार हरियाणा के सोनीपत में तैनात रविंद्र और जगाधरी जेल यमुनानगर में तैनात जेल वार्डन जसवीर को एस.आई.टी. ने नाहन की एक अदालत में पेश किया गया। अदालत ने दोनों को 9 दिनों के पुलिस रिमांड पर भेजने के आदेश दिए। इसके साथ ही किसके इशारे पर अवैध सुरक्षा प्रदान की जाती थी, कौन कौन से अधिकारी क्या आदेश देते थे, अवैध धन वसूली के पीछे असल मास्टर माइंड कौन था, इन सब पहलुओं पर पूछताछ आरंभ हो गई है। हालांकि प्रारंभिक पूछताछ में आरोपी सुरक्षा की एवज में पैसा अथवा घूस लेने से इंकार कर रहे हैं। जांच के तहत उनके बैंक खाते भी खंगाले जाएंगे।
बेखौफ होकर सामने आए शिकार हुए उद्योगपति
डीजीपी संजय कुंडू ने कहा कि मामले में कई तथ्य सामने आए है, जिनकी गहनता से जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि कोई इस मामले में किसी भी तरह की जानकारी सांझा करना चाहते है तो वह पूरे विश्वास के साथ उनके मोबाइल नंबर 98181-53766 पर संपर्क कर सकते हैं। इसके साथ ही व्यक्गित माध्यम से भी जानकारी दे सकते है।