शिमला (निस) : हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ ने प्रदेश के स्टाफ की वित्तीय मांगों को शीघ्र अमलीजामा पहनाने की मांग करते हुए कहा है कि पूर्व सरकार की तर्ज पर वर्तमान सरकार ने भी कर्मचारीयों की मांगो को अनसुना कर दिया है जो बड़ा गंभीर विषय है। महासंघ के अध्यक्ष विनोद कुमार ने जारी बयान में कहा है कि पूर्व कांग्रेस सरकार में प्रताड़ित कर्मचारी नेताओं को राहत देने के वादे सतारूढ़ दल के बड़े नेताओं ने सार्वजनिक मंचों से कर्मचारियों से किए थे लेकिन सत्ता में बैठने के बाद सरकार ने कर्मचारी नेताओं से छल की राजनीति कर पूर्व सरकार के फैसलों पर ही मोहर लगाई है। पिछले तीन साल से किसी भी स्तर पर प्रदेश के कर्मचारियों की बात सुनने की सरकार ने कोई आवश्यकता नहीं समझी और सरकार कर्मचारियों के आक्रोश को स्वयं आमंत्रित करने पर उतारू है जबकि प्रदेश में लगभग 15 लाख से अधिक मतदाता इस वर्ग से सम्बद्ध हैं। विनोद कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री बिना किसी विलम्ब के 1-1-2016 से संशोधित 7वें वेतनमान की रिपोर्ट को हिमाचल प्रदेश में लागू कर कर्मचारियों को राहत देने की पहल करें।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।