मंडी, 17 सिंतबर (निस)
संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से हिमाचल सांस्कृतिक शोध संस्थान व रंगमंडल द्वारा आयोजित राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव की दूसरी संध्या पर अदाकार सामाजिक सांस्कृतिक एवं नाट्य अकादमी नैनीताल की ओर से रंजीत कपूर द्वारा लिखित कहानी काली बर्फ का मंचन किया गया। इसका नाट्य रूपांतरण अंकुश शर्मा व निर्देशन सुभाष चंद्र द्वारा किया गया।
इस दुनिया के सारे सच यकीन पर खड़े होते हैं। आप यकीन करें तो सच अपने आप बन जाता है वरना सब कुछ सच नहीं होता। इस झूठ और सच के यकीन की खुलती परतों पर आधारित नाटक है काली बर्फ – द डार्क वेली। यह नाटक कश्मीर की पृष्ठभूमि पर आधारित है जहां आर्मी और जेहादियों के बीच की लड़ाई जगजाहिर है। ऐसे में सुदूर कश्मीर में अब्दुल अपनी बीवी के साथ खुशी-खुशी रह रहा है। इन दोनों की खुशनुमा जिंदगी और भी रंगीन हो जाती है जब अब्दुल की बीवी मां बनने वाली होती है। उनके गांव में जेहादियों द्वारा बम फेंकने की घटना में स्थितियां पूरी तरह बदल जाती हैं। आर्मी और जेहादियों की इस लड़ाई में अब्दुल का होने वाला बच्चा मर जाता है। इस घटना में अपने बच्चों को खोने से अब्दुल की बीवी पागलों की तरह बर्ताव करने लगती है। वह एक खिलौने को अपना बेटा मानने लगती है और अब्दुल को उसकी खुशी के लिए उसे यकीन दिलाता है कि उसकी गोद में खिलौना वास्तव में उसका अपना बच्चा ही है। इसी यकीन दिलाने की जद्दोजहद में वह बच्चे के इलाज के लिए डॉक्टर को भी ले आता है इस तरह पूरे नाटक में ही यकीन करने और न करने के बीच स्थितियां सामने आती है। कुल मिलाकर यह नाटक ऐसे सच से पर्दा उठाता है जो यकीन और झूठ के बीच झूलता हुआ प्रतीत होता है।