ज्ञान ठाकुर/निस
शिमला, 8 दिसंबर
हिमाचल प्रदेश में भाजपा सत्ता का ‘रिवाज’ बदलने में नाकाम रही है। विधानसभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा है। इसी के साथ हिमाचल में पांच साल बाद फिर से कांग्रेस का राज लौट आया है। उसे 40 सीटों पर विजय मिली है। भाजपा को महज 25 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। इनके आलावा 3 निर्दलीय भी चुनाव जीतने में कामयाब रहे।
उद्योग मंत्री बिक्रम ठाकुर और ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी के अलावा सभी मंत्री चुनाव हार गये। प्रदेश में रिवाज बदलने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा व पार्टी के तमाम अन्य स्टार प्रचारकों ने पूरी कोशिश की थी। लेकिन भाजपा को सत्ता नहीं मिल पाई। हिमाचल में 1985 के बाद से कोई भी सरकार रिपीट नहीं हुई है। हर पांच साल बाद यहां सरकार बदलती है। वैसे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर रिकार्ड 38183 मतों से चुनाव जीते हैं। यह अब तक की किसी भी उम्मीदवार की सबसे बड़ी जीत है। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह रोहड़ू से 27 हजार मतों से जीते थे। इसके अलावा रोहड़ू से ही मोहन लाल ब्राक्टा 28 हजार मतों से चुनाव जीते थे।
आप : सबकी जमानत जब्त
आम आदमी पार्टी शून्य पर रही। पड़ोसी राज्य पंजाब में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी धराशायी हो गयी। प्रदेश की 68 में से 67 सीटों पर चुनाव मैदान में उतरे आम आदमी पार्टी के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। कई जगह तो आप उम्मीदवारों को नोटा से भी कम वोट मिले। माकपा ने 11 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
जमींदोज हो गए कई धुरंधर
हिमाचल ने कई धुरंधरों को जमीन सुंघा दी। चुनाव हारने वाले दिग्गज नेताओं में 9वीं बार विधानसभा पहुंचने का प्रयास कर रहे कौल सिंह ठाकुर भी शामिल हैं। जयराम सरकार के 8 मंत्री हारे हैं। जनता ने आधा दर्जन बार चुनाव जीत चुके गंगू राम मुसाफिर, पांच बार विधायक रह चुकीं आशा कुमारी व डॉ राजीव बिंदल तथा 13वीं विधानसभा में सबसे वरिष्ठ सदस्य राम लाल ठाकुर को चित कर दिया।