शिमला, 30 जनवरी (निस)।
हिमाचल प्रदेश में राजस्व कानूनों की पेचीदगियों की वजह से अदालतों में लंबित हजारों मामलों से लोगों को जल्द राहत मिलने की उम्मीद है। प्रदेश में राजस्व कानूनों के सरलीकरण को लेकर गठित कमेटी की रिपोर्ट सरकार के पास आने के बाद यह उम्मीद जगी है। रिपोर्ट को कैबिनेट की मंजूरी के बाद विधानसभा में प्रस्तुत किया जाना है। राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान ने अनौपचारिक बातचीत में बताया कि कमेटी की रिपोर्ट को विधानसभा के बजट सत्र में प्रस्तुत किया जाना है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश की विभिन्न राजस्व अदालतों में 94,902 मामले लंबित हैं। इनमें 29 हजार से अधिक मामले पार्टीशन के हैं। 18 हजार से अधिक मामले डिमारकेशन, 25 हजार से अधिक केस म्यूटेशन के हैं। राजस्व दस्तावेजों में दुरुस्ती के भी 2497 मामले लंबित हैं। अदालतों में सालों से लंबित इन मामलों का निपटारा न होने की वजह से लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई मामले तो ऐसे हैं जिनमें दादा के वक्त का मुकदमा पोते लड़ रहे हैं।
कानूनों की इन पेचीदगियों को देखते हुए सरकार ने राजस्व मंत्री महेंद्र ठाकुर की अध्यक्षता में राजस्व कानूनों के सरलीकरण को लेकर कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में विधायक राम लाल ठाकुर, नरेंद्र ठाकुर, जगत सिंह नेगी, बलवीर सिंह, राकेश सिंघा व विक्रम जरयाल सदस्य हैं। कानूनों के सरलीकरण को लेकर राजस्व मंत्री ने उप समिति का गठन कर सभी विधायकों से अलग अलग रिपोर्ट ली।
राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव का कहना है कि कमेटी ने कई और सुझाव सरकार को दिए हैं। इन पर विस्तार से चर्चा के बाद बजट सत्र में पेश किया जाएगा।
दोनों पक्षों को समन भेजने की प्रक्रिया समयबद्ध करने की सिफारिश
प्राप्त जानकारी के मुताबिक कमेटियों ने राजस्व मामलों के निपटारे के लिए दोनों पक्षों को समन भेजने की प्रक्रिया को समयबद्ध करने की सिफारिश की है। साथ ही बंदोबस्त की प्रक्रिया के सरलीकरण बारे भी उप समिति ने कहा है। 1972 के भूमि मुजारा कानून की कुछेक धाराओं को व्यावहारिक बनाने का सुझाव भी आया है। भूमि की तक्सीम की प्रक्रिया को भी समयबद्ध करने का सुझाव आया है।