शिमला, 30 नवंबर (निस)
शिमला-कालका रेलवे ट्रैक पर नए उन्नत विस्टाडोम कोच की स्पीड 25 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ाकर 30 से 35 किलोमीटर प्रति घंटा करने के लिए आज सफल ट्रायल रन किया गया। इसी के साथ अब इस विश्व धरोहर रेल लाइन पर यात्रा करने वाले लोगों खासकर पर्यटकों को अब पहले से कम समय में अपने गंतव्य तक पहुंचने की सुविधा मिल जाएगी और छुक-छुक कर चलने वाली रेल गाड़ी अब फर्राटे भरेगी।
इस ट्रायल के लिए उन्नत विस्टाडोम कोच आज सुबह करीब आठ बजे कालका से शिमला के लिए रवाना हुआ। स्टेशन मास्टर शिमला जोगिंदर सिंह ने बताया कि विस्टाडोम कोच में नई विशेषताएं जोड़ी गई हैं और वैक्यूम ब्रेक सिस्टम को एयर प्रेशर ब्रेक सिस्टम से बदल दिया गया है। उन्होंने कहा कि कोच को औपचारिक रूप से 2-3 महीनों में ट्रैक पर उतार दिया जाएगा। विस्टाडोम कोच का यात्रा समय साढ़े पांच घंटे है और गति बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि यात्रा समय को 30 मिनट या उससे अधिक कम किया जा सके। पारदर्शी छत और दरवाजों के साथ पारदर्शी विस्टाडोम कोच लकड़ी के इंटीरियर और कुशन के साथ पूरी तरह से वातानुकूलित है और ट्रैक का 360 डिग्री सुंदर दृश्य देता है। 11 दिसंबर, 2018 को विस्टाडोम कोच चलाने वाला शिमला-कालका देश का पहला नैरो गेज ट्रैक बना था। शिमला को जोड़ने के लिए अंग्रेजों ने 1903 में पहला रेल लिंक बिछाया था। 2009 में कालका-शिमला रेल ट्रैक को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था। इस रेल लाइन पर 103 सुरंगें हैं। इसके अलावा 800 पुल, 919 मोड़ और 18 रेलवे स्टेशन हैं।